मर्जी के बगैर आधार डीटेल जुटाना मुश्किल ही नहीं, नामुकिन है, एक मामले में हार मान चुकी है पुलिस

मर्जी के बगैर आधार डीटेल जुटाना मुश्किल ही नहीं, नामुकिन है, एक मामले में हार मान चुकी है पुलिस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-18 08:26 GMT
मर्जी के बगैर आधार डीटेल जुटाना मुश्किल ही नहीं, नामुकिन है, एक मामले में हार मान चुकी है पुलिस

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। आधार की सुरक्षा तथा इसकी निजता को लेकर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं। कई बार लोगों ने आरोप लगाए हैं कि आधार कार्ड की डिटेल चोरी कर ली जाती है। यह तभी हो सकता है जब आपको धोखे में रखकर डिटेल हासिल कर ली गई हो। लेकिन अगर आप सजग और सावधान हैं, तो आपकी मर्जी के बगैर यह नामुमकिन है। बेहद दिलचस्प मामले में पुलिस ने जिले के ई-गवर्नेंस विभाग से डिटेल मांगी, मामला कोर्ट पहुंचा तो आदेश भी हो गए। आखिरकार भारत सरकार से दिशा-निर्देश आने के बाद कोर्ट ने भी अपने आदेश वापस ले लिए। जबकि इस सख्ती की वजह से एक अज्ञात शव बगैर शिनाख्ती के ही सुपुर्दे खाक हो गया। 

इस सब के बीच एक तथ्य यह भी है कि यूनिक आईडेंटिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के नियमों में किसी भी व्यक्ति के आधार की जानकारी बिना उसकी मर्जी व सहमति के नहीं जुटाई जा सकती। इसका उदाहरण तब सामने आया, जब एक मामले में अज्ञात शव की पहचान के लिए पुलिस द्वारा मांगी गई आधार डीटेल्स को UIDAI ने देने से मना कर दिया है। जानकारी उपलब्ध न कराने के संबंध में कोर्ट की अवमानना का आवेदन भी खारिज कर दिया गया है। 

दरअसल, इसी वर्ष मार्च माह में खमरिया थाना क्षेत्र में एक महिला का शव मिला था। पुलिस ने शव की शिनाख्त करने की कोशिशों के चलते जिले के ई-गवर्नेंस विभाग से सम्पर्क कर जिला प्रबंधक चित्रांशु त्रिपाठी बायोमेट्रिक के जरिए मृतिका की आधार डीटेल्स मांगी। ई-गर्वनेंस विभाग के अधिकारियों ने UIDAI के नियमों का हवाला देते हुए जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई। इसपर खमरिया थाना प्रभारी ने जिला न्यायालय से आदेश जारी करवाकर शव के आधार डीटेल्स मांगे। कोर्ट का आर्डर मिलने पर विभाग के अफसरों ने इसे UIDAI के सीईओ को भेजकर मार्गदशर्न मांगा। जिले के जिम्मेदारों ने इसका रिमाईंडर मेल भी UIDAI को भेजा। इसी बीच थाना प्रभारी सहदेव राम साहू ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का आवेदन जिला न्यायाधीश के समक्ष पेश किया और अवमानना का प्रकरण दर्ज कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग की। 

भारत सरकार के उच्चाधिकारी ने कराया अवगत
अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद इस संबंध में पुन: जिला ई-गवर्नेंस के अधिकारियों ने UIDAI को इस बारे में अवगत कराया। जिसके बाद राजेश कुमार सिंह, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड इंफरमेशन टेक्नोलॉजी, UIDAI, भारत सरकार ने मध्यप्रदेश के डीजीपी ऋषभ कुमार शुक्ला एवं तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश जबलपुर को फोटो प्रति प्रेषित कर बताया कि आधार एक्ट 2016 की धारा 29 के तहत एकत्रित की गई कोड बायोमैट्रिक जानकारी किसी भी आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ साझा नहीं की जा सकती। इसके साथ ही न ही उसका उपयोग किसी उद्देश्य के लिया किया जा सकता है। 
 

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