दूसरे शहरों की तुलना में काफी शुद्ध है शहडोल की हवा
दूसरे शहरों की तुलना में काफी शुद्ध है शहडोल की हवा
डिजिटल डेस्क शहडोल । हाल ही में आई ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में प्रदेश के 14 शहरों को देशभर के प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया गया है। इसके विपरीत शहडोल नगर की आबोहवा काफी शुद्ध है। यहां हवा में पार्टिकुलर मैटर यानि पीएम-10 का स्तर 51 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब और पीएम 2.5 का स्तर 17 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब है, जो देश के लिए निर्धारित मानकों से भी काफी कम है।
हवा में पीएम-10 की लिमिट 100 और पीएम-2.5 की लिमिट 60 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब तक सेफ मानी जाती है। आज लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण देश के प्रमुख शहरों की हवा जहरीली होती जा रही है। ऐसे में सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलना, नगर के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका प्रमुख कारण शहर का जंगल और हरियाली से घिरा होना है। इसके अलावा यहां कोई औद्योगिक ईकाई भी नहीं है। अगर संभाग की बात की जाए तो पड़ोसी जिला अनूपपुर भी शहडोल की तुलना में काफी प्रदूषित है। वहां हवा में पीएम-10 का स्तर 224 और पीएम-2.5 का स्तर 81 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब है।
पीसीबी कार्यालय में लगाया गया संयंत्र
हवा में प्रदूषण की मात्रा मापने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के क्षेत्रीय कार्यालय में एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम (एएक्यूएमएस) की स्थापना की गई है। करीब 70 लाख रुपए की लागत से लगाई गई इस ऑटोमैटिक मशीन का अभी औपचारिक शुभारंभ नहीं किया गया है। वर्तमान में मशीन हवा में मौजूद पार्टिकुलर मैटर पीएम-10 और पीएम-2.5 की जानकारी दे रही है। जल्द इसकी मदद से हवा में मौजूद 6 तरह के हानिकारक तत्वों के साथ पल-पल बदलते तापमान की एक्यूरेट जानकारी मिलने लगेगी।
इसलिए प्रदूषण कम
सड़कों पर वाहनों के टायर और उनकी नीचे पिसता कचरा सबसे ज्यादा पीएम-10 यानी डस्ट पार्टिकल पैदा करता है। अन्य शहरों की तुलना में नगर में वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है। इसके साथ ही अनियंत्रित निर्माण गतिविधियां भी नहीं चलती हैं। हालांकि अभी यह शुरुआती दौर है नगर में भी तेजी से निर्माण कार्य हो रहे हैं और हरियाली भी लगातार कम होती जा रही है। ऐसे में हवा में प्रदूषण के स्तर को कंट्रोल करने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में भी शहर की आबोहवा शुद्ध बनी रहे।
कई तरह की होती है परेशानी
विशेषज्ञों के अनुसार पीएम-10 और पीएम-2.5 का हवा में स्तर निर्धारित मानकों अधिक होने पर सांस संबंधी बीमारी विशेषकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही फेफड़ों के संक्रमित होने की आशंका तथा दृष्टता एवं त्वचा संबंधी बीमारी का खतरा भी बना रहता है। पीसीबी के अधिकारियों के अनुसार नगर में एएक्यूएमएस की स्थापना से हवा में प्रदूषण की मात्रा पता चल रही है। पता चल रहा है कि हम जो सांस ले रहे हैं, वह कितनी प्रदूषित है। आने वाले समय में इससे प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी मदद मिलेगी।
भोपाल प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित
ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी की गई देशभर के 231 प्रदूषित शहरों की सूची में मप्र के 14 शहर और कस्बों को प्रदूषित बताया गया है। इनमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और सिंगरौली 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। भोपाल प्रदेश का सर्वाधिक और देश का 63वां सबसे प्रदूषित शहर है, क्योंकि यहां पीएम-10 का स्तर बीते 6 साल से प्रदेशभर में सर्वाधिक बना हुआ है। भोपाल के बाद प्रदेश में दूसरे स्थान पर ग्वालियर है, जो देश में 66वां सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। यहां भी पीएम-10 का स्तर लगातार बढ़ा हुआ ही रहता है।
इनका कहना है
अन्य शहरों की तुलना में शहर की हवा काफी शुद्ध है। भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर से इसकी तुलना ही नहीं की जा सकती है।
संजीव मेहरा क्षेत्रीय अधिकारी पीसीबी