जिले में ऐसा पहली बार: नियम विरुद्ध तरीके से बच्चा, गोद लेने पर महिला के खिलाफ कराई गई एफआईआर

  • कूड़े में मिला नवजात
  • सीडब्ल्यूसी ने पाया कानून का उल्लंघन
  • दर्ज की एफआईआर

Anchal Shridhar
Update: 2023-08-06 14:59 GMT

डिजिटल डेस्क, सतना। कूड़ेदान में नवजात को मिलने के बाद उसे जिला प्रशासन को सौंपने की बजाय नियमविरुद्ध तरीके से गोद लेने के मामले में एक महिला के खिलाफ कोलगवां थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह एफआईआर जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा की ओर से दर्ज कराई गई है। श्रीमती मिश्रा की शिकायत पर कोलगवां पुलिस ने संबंधित महिला के विरुद्ध किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 33, 34 एवं 80 के तहत दर्ज की है।

क्या है पूरा मामला

31 दिसम्बर 2017 का वाकया है जब इंद्रकली (परिवर्तित नाम) को कूड़ेदान से एक नवजात के रोने की आवाज सुनाई थी। उसने नजदीक में जाकर देखा तो एक नवजात पॉलीथिन में लिपटा हुआ ठण्ड से ठिठुर रहा था। इंद्रकली बच्चे को अपने साथ घर ले गई। सर्दी लगने से बच्चे को निमोनिया हो गया लिहाजा उसने नवजात को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। उसे निमोनिया हो गया था। उपचार के बाद नवजात स्वस्थ हुआ तो महिला उसे लेकर वापस घर चली गई और बच्चे का लालन-पालन करने लगी। करीब दो माह बाद पड़ोसी महिला के कहने पर इंद्रकली ने शिशु को यूपी के एक शहर में रहने वाली महिला विनीता (परिवर्तित नाम) को सौंप दिया। विनीता के कोई औलाद नहीं थी।

दो साल बाद बच्चे को लौटाया

दो साल बाद विनीता की तबीयत बिगड़ गई। तमाम उपचार के बाद में उसे बचाया नहीं जा सका लिहाजा विनीता का पति बच्चे को लेकर वापस सतना पहुंचा और इंद्रकली को यह कहते हुए बच्चा वापस कर दिया कि पत्नी की मौत के बाद वह बच्चे का भरण-पोषण करने में असमर्थ है। मगर कुछ दिनों में ममता स्वयं बीमार हुई तो वह बच्चे को एक बार फिर विनीता के पति के सुपुर्द कर आई। 14 जून 2023 को विनीता के पति ने बच्चे को सतना आकर जिला बाल कल्याण समिति के सुपुर्द करा दिया जिसे मातृछाया भेज दिया गया।

सीडब्ल्यूसी ने पाया कानून का उल्लंघन

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 32 के मुताबिक इंद्रकली को नवजात मिलने की सूचना 24 घंटे के अंदर यथा संभव बाल सेवाओं, नजदीकी पुलिस थाना या फिर बाल कल्याण समिति को देनी चाहिए थी मगर उसने ऐसा न कर बच्चे को गैरकानूनी ढंग से किसी अन्य महिला को सौंप दिया। इस तरह यह घटना किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 33, 34 एवं 80 का उल्लंघन पाया गया। जांच पड़ताल के बाद जिला बाल कल्याण समिति ने मामले की रिपोर्ट कोलगवां थाना में दर्ज कराई।

इनका कहना है

जी हां, यह सही है कि करीब साढ़े 5 वर्ष पूर्व एक महिला को लावारिस हालत में एक नवजात मिला था जिसे उसने अधिकृत संस्था को न सौंपकर एक महिला को दे दिया। जांच पड़ताल के बाद घटना सत्य पाई गई जिसके एवज में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

राधा मिश्रा, अध्यक्ष, जिला बाल कल्याण समिति

लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल संरक्षण) अधिनियम क्या है। अगर किसी को भी ऐसे बच्चे मिलते हैं तो वो संबंधित संस्थाओं के सुपुर्द करें। ऐसा न करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। बच्चा गोद लेने की एक वैधानिक प्रक्रिया है जिसका लोगों को पालन करना चाहिए।

सौरभ सिंह, डीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग

Tags:    

Similar News