त्रिदेवताओं के क्रोध से प्रकट हुई थीं मां चंद्रघंटा, जानें कैसे करें आराधना

चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन त्रिदेवताओं के क्रोध से प्रकट हुई थीं मां चंद्रघंटा, जानें कैसे करें आराधना

Manmohan Prajapati
Update: 2023-03-23 11:26 GMT
त्रिदेवताओं के क्रोध से प्रकट हुई थीं मां चंद्रघंटा, जानें कैसे करें आराधना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, जो कि मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 24 मार्च, शुक्रवार को है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के साथ श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं। जगत जननी दुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) तीनों की शक्तियां समाहित हैं। माना जाता है कि, माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्तों को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त मिलती है। 

पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर अपनी शक्तियों के घमंड में चूर था और उसने देवलोक पर आक्रमण कर दिया, तब महिषासुर और देवताओं के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस दौरान देवताओं पर महिषासुर हावी दिखाई देने लगा। ऐसे में सभी देवता त्रिदेव के पास मदद मांगने पहुंचे और देवताओं को सुन त्रिदेव को गुस्सा आ गया, इसी गुस्से में चंद्रघंटा मां का जन्म हुआ। आइए जानते हैं देवी के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...

स्वरूप
मां चंद्रघंटा का रूप अत्यंत ही सौम्य होता है। भगवती चंद्रघंटा का रूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है। सिंह पर सवार माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र है, इसलिए माता को चंद्रघंटा नाम दिया गया है। मां चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है, इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं जो कि विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं।

ऐसे करें पूजा
नवरत्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की आराधना करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थान पर देवी की मूर्ति की स्थापना करें। इसके बाद इन्हें गंगा जल से स्नान कराएं। धूप-दीप, पुष्प, रोली, चंदन और फल-प्रसाद से देवी की देवी की पूजा करें। वैदिक और संप्तशती मंत्रों का जाप करें। सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। 

इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है। मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।  

इस मंत्र के साथ करें मां चंद्रघंटा की पूजा 

ॐ चं चं चं चंद्रघंटायेः हीं।
इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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