नवरात्रि में नौ दिन लगाएं ये भोग , माँ से मिलेगा मनचाहा आर्शीवाद

नवरात्रि में नौ दिन लगाएं ये भोग , माँ से मिलेगा मनचाहा आर्शीवाद

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-28 13:06 GMT
नवरात्रि में नौ दिन लगाएं ये भोग , माँ से मिलेगा मनचाहा आर्शीवाद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस वर्ष चैत्र नवदुर्गा पूजा 6 अप्रैल से प्रारम्भ हो रही हैं, जो कि 14 अप्रैल तक चलेगी। इन दिनों में नौ महा शक्तियों की आराधना की जाएगी। प्रत्येक दिन एक देवी मां को समर्पित रहेगा। इन नौ देवियों को नवदुर्गा कहा जाता है। हर देवी मां की अपनी एक विशेषता हैं। नवरात्रि में हर दिन माताजी को एक विशेष प्रकार के प्रसाद को अर्पण करने का नियम है। जो भी भक्त उस दिन माताजी का प्रिय भोग भेंट करता हैं, उसे माताजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उस भक्त को माताजी से मनचाहा वरदान भी मिलता है। नवरात्रि व्रत भोग के बिना अधूरा होता है। आइए जानते हैं किस दिन कौन से भोग को अर्पण या भेंट करने से क्या फल मिलता हैं।

प्रथम दिन- माँ शैलपुत्री का
पहले दिन नवदुर्गा स्वरूप के प्रथम देवी माँ शैलपुत्री हैं। वे पर्वतराज हिमालय जी के पुत्री हैं। इस दिन माता जी को शुद्ध देशी घी का भोग लगाया जाता हैं। इस दिन माता भक्त को निरोगता का वरदान देती हैं और भक्त हर प्रकार की व्याधि से मुक्त रहता है।

द्वितीय दिन-माँ ब्रह्मचारिणी का
दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी (शक़्कर ) का भोग लगाया जाता हैं। इस दिन माँ भक्तों को लम्बी आयु का बरदान देती हैं।

तृतीय दिन-माँ चन्द्रघंटा का
तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा को चावल की खीर का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता भक्त के जीवन से सारे कष्टों को हर लेती हैं और सारे दु:खों से मुक्त करती हैं।

चौथा दिन-माँ कूष्मांडा का
चौथे दिन कूष्मांडा माता को मालपुआ का भोग लगाया जाता है। जो भी माँ को इस दिन मालपुए का प्रसाद चढ़ाता है उसे तीक्ष्ण बुद्धि का वरदान प्राप्त होता हैं। उनमें निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती हैं।

पांचवा दिन-माँ स्कन्दमाता का
पांचवे दिन श्री कार्तिकेय की माता स्कन्दमाता को केले का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता भक्तों को स्वस्थ तथा तन्दरूस्त रहने का वरदान देती हैं।

छठवां दिन-माँ कात्यायनी का
छठवे दिन माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता अपने भक्तों को सुन्दर रुप का वरदान देती हैं।

सातवां दिन-माँ कालरात्री का
सातवे दिन माँ कालरात्री को गुड़ का भोग लगाया जाता। इस दिन माता अपने भक्तों को शोकमुक्त जीवन का वरदान देती हैं। माता भक्तों को हर प्रकार की बुरी नजर से रक्षा करती हैं। माता की कृपा से निर्धनता दूर होती हैं।

आठवां दिन-माँ महागौरी का
आठवें दिन कन्या पूजन की प्रथा है और माता को नारियल का भोग लगाया जाता है। माँ पूर्व जन्म के पाप को क्षय करती हैं। जो निसंतान होते हैं, वह माताजी को इस दिन छप्पन प्रकार के भोग लगा कर दान कर देने से उन्हें संतान प्रप्ति का वरदान मिलता हैं और संतान संबंधी सारे बाधाओं का नाश होता है।

नौवां दिन-माँ सिद्धिदात्री का
नौवे दिन माँ को तिल के लड्डू या किसी अनाज का भोग लगाया जाता है। माता जी भक्त की अकाल मृत्यु एवं आकस्मिक दुर्घटना से रक्षा करती हैं। माता जी की करूणा से भक्तों को हर तरह के सुख शांति मिलती हैं।
जो भी इन नौ दिनों में माता जी को उनका प्रिय भोग लगाकर श्री दुर्गा सप्तसती के कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ करेगें, माँ दुर्गति नाशिनी के कृपा से उनकी सारी बिपत्तियों का नाश होगा और माता रानी की अपार कृपा उनके और उनके परिवार पर बनी रहेगी।


।।या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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