बैलों की पूजा का दिन तान्हा पोला, महाराष्ट्र में मनेगा धूम-धाम से
बैलों की पूजा का दिन तान्हा पोला, महाराष्ट्र में मनेगा धूम-धाम से
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या और शुक्ल पक्ष की एकम को महाराष्ट्र में तान्हा पोला पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 सितम्बर 2018 और 10 सितम्बर 2018 को मनाया जाएगा। इस दौरान बैलों की पूजा की जाती है। पोला का मतलब होता है बैलो का पूजन, श्रृंगार, सेवा, और उनके प्रति आभार प्रदर्शन का दिन। इस दिन को महाराष्ट्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र में पोला दो दिन तक मनाया जाता है। अमावस्या के दिन बड़ा पोला मनाया जाता है, इस दिन वास्तविक बैलों की पूजा करते हैं। अगले दिन यानी एकम के दिन तान्हा या छोटा पोला मनाया जाता है, जिसमें बच्चे लकड़ी का बैल लेकर घर घर जाते हैं और कुछ दक्षिणा मांगते हैं।
महाराष्ट्र में खेती का बहुत महत्व है, और पोला त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। बैलों को नहला धुलाकर सजाया जाता है और उन्हें पूरा आराम दिया जाता है। बैलों को भगवान मानने वाले किसान बैलों की हल्दी और गरम पानी से सिकाई करते हैं और उनकी इस दिन पूजा की जाती है। संध्या के समय परिवार के मुखिया द्वार बैलों से अनुरोध किया जाता है, आज आवतन घ्या, उद्या जेवायला या (आज निमंत्रण लीजिये और कल भोजन के लिए आइये) बोल कर बैलों को भोजन का निमंत्रण दिया जाता है और भोजन में पूरन पोली, कढ़ी, मूंग दाल के बड़े, और चावल बनाया जाता है।
इसके अगले दिन नगर के किसी एक व्यस्त चौराहे महाल से मारबत का जुलुस निकाला जाता है, मारबत अर्थात, एक ऊंचा पुतला, जिसे कुछ लोग कृष्ण और पूतना से भी जोड़कर देखते हैं। मारबत दो प्रकार की निकाली जाती है काली मारबत जो पूतना का प्रतीक है, और पीली मारबत जो बच्चों की हर बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी है, इनके दर्शन करना शुभ माना जाता है। इसी के साथ निकलते है बडज्ञा। बडज्ञा विभिन्न सामाजिक बुराइयों, भ्रष्टाचार या कुरीतियों का रूप होते हैं, उनका पुतला दहन किया जाता है। कागज, पेड़ की टहनियों और अपने घरों का कचरा आदि से बच्चे बडज्ञा का निर्माण करते हैं। शहर भर में इस बडज्ञा को घुमाया जाता है। घुमाने के बाद बडज्ञा नाम के पुतले का दहन कर दिया जाता है।
बडज्ञा बुराई का प्रतीक है, लोग बड़गो के पीछे गाते चिल्लाते घूमते है उस बड़गे का नाम लेकर:-
घेऊन जाऽऽ गे मारबत
अर्थात:- मारबत, इसको यहाँ से लेकर जाओ