उल्टे स्वास्तिक की मान्यता, आधी जमीन में धंसी है ये स्वयंभू प्रतिमा

उल्टे स्वास्तिक की मान्यता, आधी जमीन में धंसी है ये स्वयंभू प्रतिमा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-22 07:18 GMT
उल्टे स्वास्तिक की मान्यता, आधी जमीन में धंसी है ये स्वयंभू प्रतिमा

 

डिजिटल डेस्क, सीहोर। गणपति बप्पा के अनेक मंदिरों दर्शन आपने जरूर किए होंगे, लेकिन आज जिस मंदिर के बारे में हम आपको बता रहे हैं वह अपने आप में बेहद अद्भुत है। मंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई है। यह जमीन के अंदर आधी धंसी है, जिसकी वजह से आधी मूर्ति के दर्शन होते हैं। बताया जाता है कि यह स्वयंभू प्रतिमा है। जिसकी वजह से यहां का प्रताप अन्य स्थानों से अधिक है। यह मंदिर सीहोर के  पश्चिम.उत्तर कोण में स्थित है जो कि शुगर फैक्ट्री से पश्चिम में लगभग एक किलोमीटर दूरी पर गोपालपुर में मौजूद है और इसे चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है...

अनेक तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 155 में महाराज विक्रमादित्य द्वारा श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया गया था। इसका इतिहास करीब 2000 वर्ष  पुराना है। 

21 दिन बहा दूध

बताया जाता है कि गणेशजी के मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। 150 वर्ष पूर्व तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था तब चारों ने मूर्ति की आंख में लगे हीरे चोरी कर लिए तथा गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा बहती रही। 

बप्पा ने दिया स्वप्न

तब भगवान गणेशजी ने पुजारी को स्वप्र देकर कहा कि मैं खंडित नहीं हुआ हूं। तुम मेरी आंखों में चांदी के नेत्र लगवा दो। तभी से भगवान गणेश की आंखों में चांदी के नेत्र लगाए गए हैं। इस दौरान विशाल यज्ञ का भी आयोजन किया गया था। बताया जाता है कि यहां आने वाले प्रत्येक भक्त की चिंता बप्पा हर लेते हैं। यह स्थान सभी के संकट दूर करने वाला बताया गया है। 

उल्टा स्वास्तिक

मान्यता है कि यदि यहां उल्टा स्वास्तिक बनाया जाए तो सभी काम सिद्ध हो जाते हैं। इसकी वजह से यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। गणेश उत्सव के दौरान यहां का उत्सव देखते ही बनता है। 

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