देशभर में गूंजे घंटे-घड़ियाल, 58 साल बाद बना ऐसा योग 

देशभर में गूंजे घंटे-घड़ियाल, 58 साल बाद बना ऐसा योग 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-25 06:49 GMT
देशभर में गूंजे घंटे-घड़ियाल, 58 साल बाद बना ऐसा योग 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक गणेश उत्सव है। दस दिनों तक घरों का माहौल और दिनचर्या दोनों बदल जाती है। किसी भी काम का शुभारंभ करने से पहले लोग सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस खास मौके पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। गणपति के दर्शन के लिए लोगों की लंबी कतारें नजर आ रही हैं। देशभर में बप्पा के जयकारे जगह-जगह सुनाई दे रहे हैं।  

पुणे में ढोल नगाड़े सुनाई दे रहे हैं। यहां की खास बात ये है कि महिलाएं भी बप्पा के स्वागत के लिए परंपरागत परिधानों में ढोल बजाते हुए बप्पा को ठाठ बांट से लाती हैं। बप्पा का रथ भी यहां देखते ही बनता है। 

नागपुर के टेकड़ी मंदिर में "बप्पा" की पूजा-अर्चना का दृश्य आज सुबह अति मनमोहक नजर आया। मराठी कल्चर यहां स्पष्ट देखने मिला। माेती डूंगरी राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। यहां पूजन की परंपरा अाज भी पुरातन है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार दशमी तिथि में तिथि-वृद्धि के कारण इस वर्ष दस दिवसीय उत्सव में एक दिन की वृद्धि हुई है। ये योग 58 साल बाद बनना बताया जा रहा है। इस तिथि को एक दिन बढ़ जाने से श्री गणेश का जलविहार अब 12वें दिन होगा। इस दौरान लाल वस्त्रों में गणेश जी की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष व संकट नाशन गणेश आदि स्तोत्रों का पाठ करना अति उत्तम बताया गया है। 

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