शिव चतुर्दशी 11 जुलाई, जानिए क्या है इस व्रत का महत्व

शिव चतुर्दशी 11 जुलाई, जानिए क्या है इस व्रत का महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-05 05:57 GMT
शिव चतुर्दशी 11 जुलाई, जानिए क्या है इस व्रत का महत्व

 

डिजिटल डेस्क । प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का दिन माना जाता है। जो की इस माह शिव चतुर्दशी 11 जुलाई 2018 दिन बुधवार को है। भविष्यपुराण के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का दिन माना जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ शिव परिवार के सभी सदस्यों की उपासना जाती है। सुख-शांति की कामना से शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन शिव पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व माना गया है। 

 

शिव चतुर्दशी व्रत कथा, व्रत विधि

 

इस दिन पुरे विधि विधान से भगवान शिव का पूजन और व्रत किया जाता हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है।

 

शिव चतुर्दशी व्रत विधि 

 

शिव चतुर्दशी व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और शिवगणों की पूजा की जाती है। पूजा के प्रारम्भ में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी,गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं। अंत में भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) भोलेनाथ को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है। 

शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन करना चाहिए। चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।  शिवजी के कुछ विशेष मंत्र निम्न हैं:

“ऊँ नम: शिवाय” व ” शिवाय नम:”

 

 

रात को सोते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?

शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।

एवं

"ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ" 

यह मंत्र बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।

समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए जपे महामृत्युंजय मंत्र -

"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बंकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्यो र्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ"।

 

मान्यता है कि शिव मंत्रों का जाप शिवालय यानि शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से अधिक फल प्राप्त होता है। चतुर्दशी के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए।

 

 

शिव चतुर्दशी व्रत का क्या फल हे ?

शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।
 

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