आतंकवाद रोकने में नाकाम पाक बना रह सकता है ग्रे लिस्ट में

आतंकवाद रोकने में नाकाम पाक बना रह सकता है ग्रे लिस्ट में

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-07 17:20 GMT
आतंकवाद रोकने में नाकाम पाक बना रह सकता है ग्रे लिस्ट में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की सरकार अपने देश में आतंकवाद को रोकने में नाकाम सिद्ध हुई है। वह आतंकवाद की रोकथाम के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा पाया है। ऐसे में अब पाक के ग्रे​-लिस्ट में बने रहने की संभावना और भी बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार एशिया पैसेफिक ग्रुप (APG) ने मनी लॉन्डरिंग पर अपनी रिपोर्ट फाइनैन्शियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की समग्र बैठक से 10 दिन पहले रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया कि पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत आतंकवादी संगठनों के ​खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

FATF की समग्र बैठक में एजीपी की रिपोर्ट के आधार पर ही पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने पर फैसला होना है। एपीजी रिपोर्ट के बाद पाकिस्तान पर यह खतरा मंडरा रहा है कि एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है। एफएटीएफ की बैठक 13 और 18 अक्तूबर के बीच होनी है, लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि वो एफएटीएफ के सदस्यों को संतुष्ट करने में सफल होगा।

वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले में काफी प्रगति की है। 
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना था, हिंदुस्तान तो बढ़-चढ़कर पाकिस्तान का विरोध कर रहा है। यह किसी से ढकी-छुपी बात नहीं है। वो तो पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में धकेलना चाहता है, लेकिन दुनिया जानती है और एशिया पैसिफिक ग्रुप की अभी बैंकाक में जो बैठक हुई थी उसमें उन्होंने उसका पूरा जायजा लिया है और मैं समझता हूं कि उनमें खासा इत्मीनान है कि पाकिस्तान ने इस मामले में खासा प्रोग्रेस की है।

पाक को अमेरिका से उम्मीद
वहीं पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि इमरान खान के हालिया अमरीका दौरे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान ने एफएटीएफ के मामले में अपना नजरिया पेश किया था। कुरैशी ने उम्मीद जताई कि अमरीका पाकिस्तान का नजरिेया समझेगा और इस मामले में पाकिस्तान के साथ सहयोग करेगा। यह रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को निराश करने वाली है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में 27 सितंबर को बोलते हुए इमरान खान ने भारत पर आरोप लगाया था कि वो पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डलवाने की कोशिश कर रहा है।

तुर्की और चीन ने की पाक मदद
हाल के हफ्तों में तुर्की और मलेशिया कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ खुलकर सामने आए हैं। एफएटीएफ के मामले में भी पाकिस्तान को तुर्की और मलेशिया से मदद मिल सकती है। जून 2018 में पाकिस्तान जब ग्रे लिस्ट में आया था तो चीन और तुर्की ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में आने से बचने में मदद की थी। आखिरकार चीन ने पाकिस्तान को लेकर अपनी आपत्ति वापस ले ली थी।

क्या है एफएटीएफ
अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ की स्थापना G7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी। इसका मुख्यालय पेरिस में है, जो दुनियाभर में हो रही मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियां बनाता है। साल 2001 में इसने अपनी नीतियों में चरमपंथ के वित्तपोषण को भी शामिल किया था। संस्था अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को सही रखने के लिए नीतियां बनाता है और उसे लागू करवाने की दिशा में काम करता है। इसके कुल 38 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, अमरीका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल हैं। जून 2018 से पाकिस्तान दुनियाभर के मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाले संस्थाओं के रेडार पर है। पाकिस्तान इन संस्थाओं के निशाने पर तब आया जब उसे चरमपंथियों को फंड करने और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे को देखते हुए "ग्रे लिस्ट" में डाल दिया गया था। ग्रे लिस्ट में सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद, ट्यूनीशिया और यमन भी हैं।
 

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