धर्म के चश्मे से: दुनिया में कई मुस्लिम देश, लेकिन पाक के साथ तुर्किये और अजरबैजान ही क्यों?

दुनिया में कई मुस्लिम देश, लेकिन पाक के साथ तुर्किये और अजरबैजान ही क्यों?
  • सऊदी अरब-यूएई ने पहले ही बनाई दूरी
  • अजरबैजान तो तुर्किये का पिट्ठू बना
  • पाकिस्तान मुस्लिम देशों तक का समर्थन हासिल नहीं कर पाया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में कई मुस्लिम देश है, लेकिन भारत -पाकिस्तान तनाब के बीच तुर्किये और अजरबैजान का पड़ाेसी मुल्क पाकिस्तान को खुलकर समर्थन हासिल था, जबकि अधिकतर मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी। अब की बार मुस्लिम देशों का रुख भारत-पाकिस्तान तनाव को धर्म के चश्मे से देखने के बजाय कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण पर फोकस रहा है।

भारत पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद-51 के उल्लंघन यानी संतुलित कार्रवाई के बजाय सीधा सैन्य हमला करने का रोना रोने के बावजूद पाकिस्तान मुस्लिम देशों तक का समर्थन हासिल नहीं कर पाया था। हालांकि आपको बता दें दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में रहती है।

तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप अर्दोआन लंबे समय से ऑटोमन साम्राज्य की तर्ज पर पूरी इस्लामी दुनिया के अगुआ बनकर अपने देश का प्राचीन रुतबा वापस चाहते हैं। अर्दोआन की इस महत्वाकांक्षा को पाकिस्तान से समर्थन मिलता रहता है। जिसके चलते तुर्किये ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान को ड्रोन समेत कई घातक हथियार मुहैया कराए। तुर्किये इस्लामिक सहयोग संगठन या ओआईसी में अपनी स्थिति सुदृढ़ करना चाहता है। 57 मुस्लिम देशों के समूह में सऊदी अरब और ईरान का वर्चस्व है और तुर्किये एक इस्लामी राष्ट्र के समर्थन के नाम पर अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहता है। अजरबैजान की बात की जाए तो, उसकी स्थिति थोड़ी अलग है। वह सीधे तौर पर पाकिस्तान का समर्थक न होने के बावजूद अजरबैजान तुर्किये के साथ होने से वह पाकिस्तान के साथ नजर आता है। आपको बता दें अजरबैजान के पाकिस्तान के साथ संबंध आर्मेनिया के खिलाफ 2020 की जंग के दौरान ही विकसित हुए थे जब इस्लामाबाद ने बाकू का खुलकर समर्थन किया और उसे सैन्य समर्थन की पेशकश भी की।

पाकिस्तान को धन मुहैया कराने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) ने भी तेजी से बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों के चलते पाकिस्तान से दूरी बना ली, दोनों ही देश अब भारत के करीब आते दिख रहे हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि इस्लामी दुनिया ने महसूस किया है कि पाकिस्तान कश्मीर मसले को बातचीत से हल ही नहीं करना चाहता बल्कि पहलगाम जैसे आतंकी हमलों की साजिश में जुटा है। पाकिस्तानी सेना और सरकार दोनों ही जनता के बीच अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कश्मीर राग आलापते रहते हैं।

आपको बता दें ऑपरेशन सिंदूर के बाद रूस, चीन, अमेरिका से लेकर यूरोप तक कई बड़े देश भारत के साथ खड़े रहे। अब दोनों देशों के बीच जारी तनाव खत्म हो गया है। लेकिन ये सवाल सबके मन में बना रहेगा, कि इन दोनों देशों ने पाकिस्तान का साथ क्यों दिया। इसे लेकर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को लेकर तमाम मुस्लिम देश जान चुके है कि मजहब के नाम पर पाकिस्तान आतंक का अड्डा बना हुआ है, पाकिस्तान आतंक वादियों को पाल रहा है। वहां आतंकवादी नेटवर्क खूब फल फूल रहा है। जिसका इस्तेमाल वह भारत और अन्य पड़ोसी देशों में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने में करता है।

Created On :   11 May 2025 9:29 AM IST

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