राहुल गांधी की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी, कहा- रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में बोलने नहीं दिया

राहुल गांधी की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी, कहा- रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में बोलने नहीं दिया

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-17 13:04 GMT
राहुल गांधी की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी, कहा- रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में बोलने नहीं दिया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में बोलने का मौका ना देने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने कहा कि रक्षा संसदीय दल के मेंबर होने के नाते उनको यह अधिकार है कि वो कोई मुद्दा उठा सकते हैं। मगर किसी एक मेंबर को बोलने की अनुमति ही नहीं दी जाए, यह गैर लोकतांत्रिक है और उनके अधिकारों का हनन है।

बता दें कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के मेंबरों ने बुधवार को रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बैठक से वॉकआउट कर दिया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि बैठक में राहुल गांधी ने यह कहते हुए वॉकआउट किया कि संसदीय समिति ने सशस्त्र सेनाओं की यूनिफॉर्म पर चर्चा करके समय खराब किया है।

सूत्रों के मुताबिक, जिस समय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत कमेटी को रक्षा यूनिफॉर्म के बारे में जानकारी दे रहे थे, उस समय राहुल गांधी ने हस्तक्षेप किया। राहुल ने कहा, हमारी चर्चा इस बात पर होना चाहिए कि देश की तैयारी लद्दाख में क्या है? चीन के खिलाफ हमारी क्या रणनीति है? इसके बाद कमेटी के अध्यक्ष जुअल ओराम ने राहुल गांधी को बीच में बोलने से रोका। समिति के अध्यक्ष ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को बोलने की अनुमति नहीं दी। इस वजह से राहुल गांधी बैठक से वॉकआउट कर गए और उनके साथ साथ राजीव सांचा और रेवंथ रेड्डी भी बैठक से बाहर निकल गए। 

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। राहुल गांधी चीनी घुसपैठ को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे हैं। बीते दिनों राहुल गांधी ने कहा था, केंद्र सरकार लद्दाख में चीनी इरादों का सामना करने से डर रही है। ग्राउंड से मिले सबूत यह इशारा कर रहे हैं कि चीन खुद को तैयार कर रहा है, पोजीशन बना रहा है। प्रधानमंत्री में निजी साहस की कमी और मीडिया में इस मुद्दे पर चुप्पी के चलते भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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