सुशांत मामले पर अंकित आचार्य : 14 जून को उन तक 2 बजे से पहले कोई क्यों नहीं पहुंचा
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पूर्व मैनेजर अंकित आचार्य ने उनके निधन के वक्त घर पर मौजूद कर्मियों (हाउस स्टाफ) की जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी ने उस दिन दरवाजा क्यों नहीं तोड़ा? दीपेश सावंत को बैग लिए क्यों देखा गया? सबूतों के साथ छोड़छाड़ कैसे हुई?
14 जून को सुशांत मुंबई में अपने घर में मृत पाए गए थे। उस दौरान मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला करार दिया था और अभिनेता ने अपनी जान क्यों ली इस पर छानबीन शुरू की गई। इसके बाद कई अलग-अलग किस्म की बातें सामने आई हैं जिसने इस मौत को एक रहस्य बना दिया है।
आचार्य ने आईएएनएस को बताया, मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता, लेकिन 13 जून और साथ ही 14 जून को सुशांत की गतिविधि क्या थी और वह कहां रहे, क्या कर रहे थे, इन सबकी जानकारी रखने की जिम्मेदारी वहां मौजूद कर्मियों की थी।
वह आगे कहते हैं, 14 जून को किसी ने जाकर उनकी खबर क्यों नहीं ली या सुबह दस बजे से दोपहर के दो बजे तक कोई उनके पास क्यों नहीं गया? किसी ने दरवाजा क्यों नहीं तोड़ा? यह उनकी जिम्मेदारी थी। जब चार-पांच लोग मिलकर दरवाजे को तोड़ सकते थे तब चाबी वाले को बुलाने की क्या जरूरत पड़ी? दरवाजे को तो बाद में बदल लिया जा सकता था, शायद किसी की जान बच जाती। इसके बाद उन्होंने बॉडी और वहां मौजूद सबूतों को भी हाथ लगाया। बॉडी को उतारना और उसकी जांच करना पुलिस की जिम्मेदारी है, ऐसे में बाकियों ने सबूतों संग छेड़छाड़ क्यों की?
आचार्य के मुताबिक, अगर सुशांत काफी लंबे समय तक कमरे में बंद थे तो उस वक्त घर में मौजूद लोगों को कुछ गलत लगना चाहिए था।
उन्होंने कहा, उस वक्त सिद्धार्थ पिठानी और दीपेश (सावंत) वहां क्या कर रहे थे? उन्होंने जाकर उन्हें क्यों नहीं देखा? दीपेश वहां बैग लिए क्या कर रहे थे? क्या यह सबूतों को छिपाने की कोशिश थी? बहुत गड़बड़ है।
आचार्य ने जुलाई, 2017 से जुलाई, 2019 तक सुशांत के पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर काम किया था।
एएसएन/एसएसए
Created On :   18 Aug 2020 10:00 PM IST