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Beed News: घर-घर ज्येष्ठा गौरी महालक्ष्मी की पूजा, पूजन और जयकारों से गूंजा परिसर

By - Bhaskar Hindi |1 Sept 2025 7:44 PM IST
- पूजा-अर्चना और दीप सज्जा
- महालक्ष्मी पर्व का महत्व
- पूजन और जयकारों से गूंजा परिसर
Beed News. जिले के माजलगांव, गेवराई, पाटोदा, धारूर, वडवणी, सिरसाला, परली, अंबाजोगाई, केज, शिरूर कासार और आष्टी तहसीलों सहित पूरे जिले में ज्येष्ठा गौरी महालक्ष्मी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। तीन दिन तक चलने वाले इस पारंपरिक पर्व की शुरुआत रविवार को हुई।
पूजा-अर्चना और दीप सज्जा
- महालक्ष्मी के आगमन से पूर्व महिलाओं ने घरों की सफाई कर स्वागत की तैयारी की।
- सोमवार को श्रद्धालुओं ने प्रतिमाओं के सामने रंगोली सजाई और विविध पकवानों का भोग तैयार किया।
- शाम को पूजा-अर्चना कर गेहूं के आटे से बने 32 दीप प्रज्वलित किए गए।
- इसके बाद परिवारजनों ने प्रसाद ग्रहण कर भोजन का आनंद लिया।
- मंगलवार को गौरी महालक्ष्मी की विदाई की जाएगी।
महालक्ष्मी पर्व का महत्व
- मान्यताओं के अनुसार राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने हेतु महिलाओं ने मां गौरी का आवाहन किया था।
- माता गौरी ने राक्षसों का संहार कर पृथ्वी को कष्टों से मुक्त किया।
- इसीलिए महिलाएं सौभाग्य और परिवार की रक्षा हेतु यह व्रत करती हैं।
- प्रतिमाओं को साड़ी पहनाकर शुभ मुहूर्त में स्थापना की जाती है।
- महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और कर्नाटक में इस पर्व का विशेष महत्व है।
- महालक्ष्मी को छप्पन भोग अर्पित किए गए।
प्रमुख प्रसाद में पूरणपोली, सेवइयां, चावल की खीर, सोलह सब्जियों से बनी पातळभाजी, तिल्ली, खोपरा, खसखस, मूंगफली चटनी, लड्डू, करंजी, मोदक, कुल्डई, पापड़ और अरबी पत्ते के भजिए शामिल थे। परंपरा अनुसार प्रसाद का वितरण ब्राह्मणों, बटुकों और सुहागिनों को किया गया। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
Created On :   1 Sept 2025 7:44 PM IST
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