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Beed News: सहकारिता क्षेत्र में मचा हड़कंप, पंकजा मुंडे की वैद्यनाथ सहकारी चीनी मिल की बिक्री!

- क्रय-विलेख रोकने की मांग
- फैक्ट्री को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से ओंकार शुगर फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया
Beed News. जिले की परली तहसील के पांगरी स्थित वैद्यनाथ सहकारी चीनी मिल की बिक्री की चर्चा से सहकारिता क्षेत्र में इस समय हलचल मची हुई है। कानूनी सलाहकार परमेश्वर गीते ने गंभीर आरोप लगाया है कि दिवंगत जननायक गोपीनाथ मुंडे द्वारा स्थापित इस प्रतिष्ठित सहकारी चीनी मिल को बेच दिया गया है।
परमेश्वर गीते, जो कुछ समय तक इस मिल में कानूनी सलाहकार के रूप में कार्यरत थे, ने इस संबंध में बीड जिला कलेक्टर को आवेदन देकर बिक्री रोकने की मांग की है।
भाजपा नेता और मंत्री पंकजा मुंडे, जो इस मिल की अध्यक्ष रह चुकी हैं, ने किसानों के हित में मिल को लीज पर संचालित करने की अनुमति दी थी। हालांकि अब पूरी मिल की बिक्री की चर्चा ने राजनीतिक और सहकारी क्षेत्र में हलचल मचा दी है। उल्लेखनीय है कि पंकजा मुंडे के स्वामित्व वाली पांगेश्वर शुगर मिल पहले ही बेची जा चुकी है, जिससे गोपीनाथ मुंडे द्वारा स्थापित वैद्यनाथ शक्कर कारखाने के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
क्रय-विलेख रोकने की मांग
परमेश्वर गीते का कहना है कि गोपीनाथ मुंडे ने परली और पांगरी क्षेत्र के किसानों को गन्ना पेराई की सुविधा देने के उद्देश्य से इस कारखाने की स्थापना की थी। इसलिए, बिक्री की खबर ने किसानों में आक्रोश पैदा कर दिया है। गीते ने अपने आवेदन में मांग की है कि वैद्यनाथ शक्कर कारखाने के क्रय-विलेख (Sale Deed) को तत्काल रोका जाए, ताकि किसानों के हित सुरक्षित रह सकें।
परमेश्वर गीते के आरोप
कानूनी सलाहकार परमेश्वर गीते ने कहा कि वैद्यनाथ सहकारी शक्कर कारखाना गोपीनाथ मुंडे की संकल्पना थी, जो किसानों और खेतिहर मजदूरों के हित में स्थापित किया गया था। लेकिन गलत नीतियों और कुप्रबंधन के कारण यह मिल कर्ज के बोझ तले दब गई।
गीते ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से ओंकार शुगर फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया है। यह क्रय-विलेख 14 अगस्त 2025 को पंजीकृत किया गया था, वह भी ऑफलाइन पंजीकरण के माध्यम से। उनका कहना है कि इससे मिल का उचित मूल्यांकन नहीं किया गया और इसे मात्र 131 करोड़ 98 लाख रुपये में बेच दिया गया।
गीते ने कहा, “यह सौदा किसानों और सहकारी सदस्यों के हितों के खिलाफ है। ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी पूंजी पूरी तरह नष्ट हो गई है। राज्य सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर इस बिक्री को रद्द करना चाहिए और मिल को आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।”
Created On :   10 Oct 2025 7:02 PM IST