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खतरे में विरासत: बावड़ी में छिपा है प्राचीन एस्ट्रोनॉमिकल ज्ञान का खज़ाना, धरती और चांद के बीच की दूरी का खुला रहस्य

- धरती और चांद के बीच की दूरी का रहस्य भी आया सामने
- खतरे में विरासत, बचाने की तत्काल आवश्यकता
- समर त्रगल और खजाना विहिर का संबंध
Beed News. ऐतिहासिक खजाना बावड़ी केवल एक पुराना कुआं नहीं है, बल्कि इसमें प्राचीन खगोलशास्त्र और भूगोल से जुड़े रहस्यमयी वैज्ञानिक ज्ञान के संकेत छिपे हैं। यह निष्कर्ष प्रसिद्ध आर्किटेक्ट सम्राट राहुल सरोदे की विस्तृत और गहन स्टडी के बाद सामने आया है।
स्थानीय लोग इसे ‘खज़ाना बावड़ी’ कहते हैं…
सरोदे के अनुसार ‘बीर का खजाना’ नाम का अर्थ वास्तव में ‘ज्ञान का खजाना’ है। उनका कहना है कि इस बावड़ी का निर्माण अत्यंत सटीक वैज्ञानिक मापों और प्रतीकों के आधार पर किया गया था। जिसमें पृथ्वी का व्यास, घेरा और पृथ्वी-चांद की दूरी तक को दर्शाया गया है।
निर्माण में शामिल हैं सटीक वैज्ञानिक आंकड़े
1. पृथ्वी का डायमीटर और घेरा - बावड़ी के अंदरूनी घेरे का डायमीटर 12.547 मीटर है, जो पृथ्वी के आधुनिक वैज्ञानिक डायमीटर 12,547 किमी से बिल्कुल मेल खाता है। इसी तरह इसका घेरा 39.419 मीटर है, जो पृथ्वी के भूमध्यरेखीय घेरे 39,419 किमी के समानुपाती है।
2. पृथ्वी–चांद की दूरी - बाहरी गोले की लंबाई एक खास तरीके से नापी गई, तो एक आंकड़ा (3,57,723 केएम) मिलता है, जो पृथ्वी और चांद के बीच सबसे कम दूरी के मॉडर्न वैज्ञानिक माप से मेल खाता है।
3. 15 सीढ़ियां और चंद्रमा के चरण - कुएं में उतरने के लिए कुल 15 सीढ़ियां हैं, जिन्हें सरोदे अमावस्या से पूर्णिमा तक चांद के चरणों का प्रतीक मानते हैं।
4. 359 किश्कु अंगुल व्यास - पुराने भारतीय माप ‘किश्कु अंगुल’ में 359 इकाइयों का उल्लेख पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की गणितीय अवधारणा से जुड़ा बताया जा रहा है।
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खतरे में विरासत, बचाने की तत्काल आवश्यकता
यह ऐतिहासिक बावड़ी अब कूड़े–कचरे, प्लास्टिक और दीवारों पर की गई लिखावटों से खराब हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत पर सीधा हमला है। इसके संरक्षण के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने की जरूरत है।
- सीसीटीवी कैमरे
- 24 घंटे सुरक्षा
- सूचनात्मक बोर्ड
- नियमित सफाई
नागरिकों की भागीदारी—पूर्वजों की सच्ची सेवा
हाल ही में सरोदे के नेतृत्व में चले सफाई अभियान में राहुल मस्के, किशोर मस्के, पूजा मस्के, विक्की मस्के, अवनी मस्के सहित कई युवाओं व महिलाओं ने सक्रिय भाग लिया और परिसर को साफ-सुथरा बनाया।
सरोदे का कहना है “पूर्वजों की आत्मा को शांति तभी मिलेगी, जब हम उनकी बनाई विरासत की रक्षा करेंगे, यही सच्ची पितृ सेवा है।”
कलेक्टर को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
सरोदे ने बताया कि इस रिपोर्ट के लिए उन्हें पुणे से बीड चार–पांच बार आना-जाना पड़ा। कई स्थानीय लोगों के सहयोग से शोध एक सप्ताह पहले पूरा हुआ।रिपोर्ट सोमवार को जिला कलेक्टर को सौंपी जाएगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन इस पर कितना अमल करते हैं।
समर त्रगल और खजाना विहिर का संबंध
समर त्रगल तीन चमकीले तारों, अभिजीत, श्रवण और हंस से बना पवित्र त्रिकोण है, जिसे तेज और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। सरोदे के अनुसार बावड़ी की अंदरूनी संरचना इस त्रयोग से मेल खाती है, जो इसके निर्माण में प्राचीन खगोलीय ज्ञान के उपयोग की ओर इशारा करती है।
Created On :   27 Nov 2025 8:15 PM IST












