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Bhandara News: धांधली उजागर होने पर न्यायालय ने रद्द की 47 पुलिस पटेलों की नियुक्तियां

- अन्यायग्रस्त टॉपर्स को मिली राहत
- दोबारा होगी पदभर्ती
- उपविभागीय अधिकारी व दो तहसीलदारों को किया था निलंबित
Bhandara News भंडारा उपविभाग के भंडारा एवं पवनी तहसील के 47 पुलिस पटेल पद के लिए वर्ष 2023 में हुई पदभर्ती नागपुर उच्च न्यायालय ने रद्द की है। जिससे दो वर्षों में पुलिस पटेल पद पर सेवा दे रहे उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा है। न्यायालय के इस फैसले के बाद फिर से पदभर्ती ली जाएगी।
वर्ष 2023 में भंडारा व पवनी तहसील में रिक्त 48 पुलिस पटेल पद के लिए भंडारा उपविभाग कार्यालय द्वारा विज्ञापन निकाला गया था। इस में एक जगह पर आवेदन नहीं आने से 47 पद के लिए लिखित परीक्षा ली गई। लिखित परीक्षा के बाद उच्चतम गुण हासिल करने वाले उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाना अपेक्षित था। लेकिन परीक्षा देने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को ही परीक्षा के लिए बुलाया गया। जिन उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में अधिक अंक मिले उन्हें साक्षात्कार दौरान कम अंक दिए गए। जबकि जिन्हें लिखित परीक्षा में कम अंक मिले उन्हें साक्षात्कार में अधिक अंक देकर पात्र किया गया। यह आरोप करते हुए उम्मीदवारों ने आवाज उठायी। इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ता परमानंद मेश्राम, अंकुश वंजारी ने तत्कालीन जिलाधिकारी योगेश कुंभेजकर को शिकायत दी। जिसके बाद जिलाधिकारी ने जांच समिति गठित की।
जांच के पश्चात परीक्षा में गड़बड़ी हुई है यह स्पष्ट हुआ। इस आधार पर तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी रवींद्र राठोड, भंडारा के तहसीलदार अरविंद हिंगे एवं पवनी के तहसीलदार नीलिमा रंगारी को शासन ने निलंबित किया। साथ ही चयन प्रक्रिया भी रद्द की। साथ ही संपूर्ण पुलिस भर्ती की चयन प्रक्रिया रद्द की। इसके विरोध में पुलिस पटेल ने मैट में गुहार लगाई। मैट ने 47 पुलिस पटेलों को पुन: नियुक्त किया। जिसके बाद अन्याय हुए उम्मीदवार फिर से उच्च न्यायालय पहुंचे। न्यायालय में चयन प्रक्रिया दोषपूर्ण है, यह स्पष्ट होने पर न्यायालय ने पदभर्ती रद्द की। इसी के साथ नियुक्त हुए पुलिस पटेलों को बड़ा झटका लगा है। अब यह भर्ती प्रक्रिया फिर से ली जाएगी।
मार्क की जगह स्टार देने को कहा और कागज नष्ट कर दिया : उम्मीदवारों के लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार लिया गया। यह साक्षात्कार पांच सदस्यीय समिति ने लिए। इसमें अध्यक्ष उपविभागीय अधिकारी, सदस्य एवं उपविभागीय पुलिस अधिकारी, समाज कल्याण अधिकारी, आदिवासी प्रकल्प एवं संबंधित तहसील के तहसीलदार का समावेश था। लेकिन उपविभागीय अधिकारी एवं तहसील को छोड़ अन्य अधिकारी अनुपस्थित रहे और अपने प्रतिनिधि को भेजा। तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी रवींद्र राठोड ने अन्य सदस्यों को कागज देकर अंक के बजाय कोड में स्टार देने को कहा। जिसके बाद यह कागज नष्ट कर दिया गया। यह कागज न्यायालय में नहीं रखा जा सका। जिससे भर्ती प्रक्रिया को अपूर्ण माना गया।
परीक्षा देने वाले पात्र टॉपर्स पर हुआ था अन्याय : मोहदुरा ग्राम के सागर निखुडे नाम के उम्मीदवार को पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में 80 में से 79 मार्क मिले। लेकिन साक्षात्कार दौरान उसे कम अंक दिए और अपात्र घोषित किया है। सागर आर्थिक परेशानी से जूझते हुए एमपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इस तरह अन्य टॉप करने वाले उम्मीदवारों पर परीक्षा में अन्याय हुआ। पत्र परिषद में उम्मीदवारों ने आपबीती बतायी।
Created On :   31 July 2025 12:42 PM IST