जबलपुर: शासन की अनुमति बिना भू-अर्जित जमीन भू-स्वामियों को वापस देने को चुनौती

शासन की अनुमति बिना भू-अर्जित जमीन भू-स्वामियों को वापस देने को चुनौती
  • जेडीए द्वारा भू-माफियाओं व बिल्डरों से साँठ-गाँठ का आरोप, हाईकोर्ट में याचिका पेश
  • शिकायत के बावजूद जब कलेक्टर ने कार्रवाई नहीं की तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।
  • ब्रह्मपुरी सोसाइटी के खिलाफ याचिका निरस्त करके 50 हज़ार की कॉस्ट लगायी गयी है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत कर जबलपुर विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को कठघरे में रखा गया है। आरोप है कि वर्षों पहले जिस जमीन का जेडीए ने भू-अर्जन किया था, अब उसे शासन की अनुमति बिना ही भू-स्वामियों को वापस किया जा रहा है।

जेडीए के अधिकारी भू-माफियाओं व बिल्डरों से साँठगाँठ कर इस अवैधानिक कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं। जबलपुर निवासी केके वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि लक्ष्मीपुर ग्राम स्थित जमीन (खसरा क्रमांक 15, 16 एवं 17) की जमीन राज्य शासन की अनुमति से जेडीए द्वारा 20 सितंबर 1979 को भू-अर्जन की गई थी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता केके पांडेय व कौशलेश पांडेय ने बताया कि जेडीए ने 22 जून 2021 को एक संकल्प पारित कर आपराधिक षड्यंत्र के तहत उसी जमीन को शासन की अनुमति बिना ही वास्तविक भू-स्वामियों को वापस करने की कार्रवाई कर रहा है।

आरोप है कि भू-स्वामी, भू-माफिया, बिल्डर व जेडीए के अधिकारी मिलीभगत कर शासन की जमीन का बंदरबाँट कर रहे हैं। दलील दी गई कि भू-अर्जन अधिनियम के अनुसार शासन की अनुमति बिना भू-अर्जित जमीन को न तो वापस किया जा सकता है और न ही उसका क्रय-विक्रय किया जा सकता है।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने भी कई निर्णय पारित किए हैं। जेडीए द्वारा उन फैसलों की अनदेखी की जा रही है। ऐसे ही एक प्रकरण में हाईकोर्ट ने हाथीताल में खसरा नंबर 132 के मामले में जेडीए के अधिकारियों एवं ब्रह्मपुरी सोसाइटी के खिलाफ याचिका निरस्त करके 50 हज़ार की कॉस्ट लगायी गयी है।

इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने कलेक्टर जबलपुर को जाँच करके जेडीए के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका का निराकरण करते हुए कहा था कि जेडीए के अधिकारी भू-अर्जन करने के उपरांत प्राइवेट सोसाइटी को जमीन हस्तांतरित नहीं कर सकते।

याचिका में आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट में याचिका लंबित रहने के दौरान जेडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की सहमति से संपत्ति अधिकारी मलखान सिंह ने करीब 26 रजिस्ट्री कर भू-स्वामी को बिना अधिकार जमीन बेच दी।

इसी तरह लक्ष्मीपुर की जमीन को भी नियम विरुद्ध तरीके से मिट्टी मोल कीमत पर वास्तविक भू-स्वामी को वापस किया जा रहा है। शिकायत के बावजूद जब कलेक्टर ने कार्रवाई नहीं की तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

Created On :   20 Jun 2024 3:48 PM IST

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