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Jabalpur News: 26 साल बाद सेना के लिए नया बख्तरबंद, पथरीले व संकरे रास्ते पर दौड़ेगा

- वाहन निर्माणी ने तैयार किया नया आर्म्ड व्हीकल, छोटे वाहन की कमी दूर होगी, सुरक्षा के इंतजाम भी
- वाहन निर्माणी ने वर्ष 2010 तक इन वाहनों की बुलेट प्रूफिंग का काम भी किया है।
Jabalpur News: तकरीबन 26 साल के बाद भारतीय सेना को एक नया व्हीकल मिलने वाला है। लाइट मोटर व्हीकल बतौर यह व्हीकल पथरीले और संकरे रास्तों पर भी फर्राटे मार सकेगा। इससे पहले तक एमएमवी सेगमेंट में जोंगा आर्मी के बेड़े में शामिल रहा है। वर्ष 1999 के बाद इसका प्राेडक्शन रोक दिया गया। इसके बाद से ही भारतीय सेना को किसी छोटे वाहन की सप्लाई नहीं की जा सकी।
व्हीकल फैक्ट्री में तैयार किए गए वाहन में आर्मी के अलावा अर्धसैनिक बलों की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। जानकारों का कहना है कि सेना में इस तरह के छोटे वाहन की अर्से से डिमांड महसूस की जाती रही है। खास बात यह है कि वीएफजे इस वाहन को बाहर एक्सपोर्ट भी कर सकेगी।
सुरक्षा:- यह वाहन बुलेट प्रूफ है और बम विस्फोटों (एलईडी) से भी जवानों को बचा सकता है। इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। जवानों को संवेदनशील क्षेत्रों में लॉजिस्टिक सपोर्ट हासिल हो सकेगा।
उपयोग:- इसे भारतीय सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ और अन्य अर्धसैनिक पुलिस बलों के लिए डिजाइन किया गया है। एंटी-टेरर ऑपरेशंस, नक्सल विरोधी अभियानों और सीमावर्ती इलाकों में गश्त के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
खूबियां:- यह नाइट विजन कैमरे से लैस है। एलबीपीवी में हाई स्पीड, ऑफ-रोड मोबिलिटी और विभिन्न प्रकार के मिशनों के लिए अलग तरह के आंतरिक लेआउट जैसी खूबियां हैं। मेक इन इंडिया होने के कारण मेंटेनेंस सस्ता होगा।
न ब्रांडिंग की और न विदेशों में क्लाइंट तलाशे
वाहन निर्माणी ने हाल ही में इस व्हीकल को दिल्ली में भारत मंडपम में आयोजित इंटरनेशनल पुलिस एक्सपो 2025 में दुनिया के सामने पेश किया। इसके बाद फैक्ट्री प्रशासन ने न तो इसकी प्राॅपर ब्रांडिंग की और न ही किसी भी जरिए से दुनिया के बाहरी देशों से संपर्क किया। नतीजतन, निर्माणी प्रशासन ने प्रोटोटाइप बनाने के बाद इस पर दिलचस्पी दिखाना ही बंद कर दिया है।
इससे पहले 4 दशक तक जोंगा की सप्लाई
इससे पहले सेना को छोटे वाहन बतौर जोंगा की सप्लाई की जाती रही। 1960 के दशक से वर्ष 1999 तक इसका प्राेडक्शन किया गया। खास बात यह है कि जबलपुर ऑर्डनेंस एंड गन कैरिज असेंबली (JONGA) के शाॅर्ट फ्रॉम को जोड़कर इसे जोंगा नाम दिया गया था। हालांकि सेना छोटे वाहन की कैटेगरी में जिप्सी का इस्तेमाल करती है लेकिन इसे ऑफ रोड, सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में उपयोग नहीं लाया जाता। वाहन निर्माणी ने वर्ष 2010 तक इन वाहनों की बुलेट प्रूफिंग का काम भी किया है।
Created On :   15 Sept 2025 1:16 PM IST