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Jabalpur News: बांस की खेती से किसानों की संवर सकती है तकदीर
Jabalpur News: देश में बांस की डिमांड लगातार बढ़ रही है। एसएफआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि मध्य प्रदेश में बांस की खेती की अच्छी संभावना है, क्योंकि यह राज्य देश का सबसे बड़ा बांस वन क्षेत्र है। प्रदेश में 11 क्लाइमेट जोन के 18 जिलों में बांस की सबसे अच्छी प्रजाति बेम्बूसा बालकुआं मिली है।
इन जिलों में जबलपुर ,रीवा, हरदा, देवास, बालाघाट, शहडोल, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, सीधी, सिवनी, कटनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सीहोर, रायसेन का नाम शामिल है। बांस एक बहुमुखी पौधा है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे कि निर्माण, फर्नीचर, भोजन, जैव ईंधन, कपड़े, कागज, लुगदी और चारकोल निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा बांस का उपयोग हस्तशिल्प, अगरबत्ती, खिड़की के पर्दे, और योगा मैट बनाने में भी किया जाता है।
देश में बांस की 127 प्रजातियां
विश्व में बांस की 1 हजार 400 प्रजातियां हैं, वहीं भारत में 127 प्रकार के बांस पाए जाते हैं। इनमें से कुल 34 प्रकार की प्रजातियां मध्य प्रदेश में मिलती हैं । जिनमें बंबूसा बालकुआं, बंबूसा तुलदा, डेड्रोकैलामस स्ट्रिक्टस, बम्बूसानूटैन्स सर्वोत्तम प्रजातियां हैं। इनका उपयोग निर्माण कार्य, खेती एवं कागज निर्माण, फर्नीचर, भोजन, जैव ईंधन, कपड़े, और अन्य उद्योगों में किया जाता है।
वैज्ञानिकों की स्टडी रिपोर्ट से जागी उम्मीदें
राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा बांस की प्रजातियों पर की गई स्टडी रिपोर्ट को राज्य बांस मिशन को सौंपा जा चुका है। अब बांस मिशन इस स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक बांस की अच्छी प्रजातियों के उत्पादन बढ़ाने के लिए योजना पर काम कर रहा है। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रिसिंपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. अनिरुद्ध मजूमदार ने बताया कि मिशन से पोषित आईडेंटिफाई ऑफ बेस्ट परफार्मिंग बेम्बू स्पीसीज फॉर इनहेचमेंट ऑफ इनकम ऑफ फार्मर इन मध्य प्रदेश के तहत अच्छी गुणवत्ता वाले बांस को लेकर सर्वे किया था। सर्वे में बांस की ऊंचाई, ग्रोथ व उसके उत्पादन सहित अन्य जानकारियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
टिश्यू कल्चर के जरिए तैयार हो रहे हैं बांस के पौधे
बंबू मिशन के वैज्ञानिकों का कहना है कि टिश्यू कल्चर एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसका उपयोग बांस के पौधों को तेजी से और बड़े पैमाने पर उगाने के लिए किया जाता है। जिसमें पौधे के ऊतकों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है, जिससे नए पौधे तैयार किए जा सकते हैं। इस विधि से बांस के पौधों को तेजी से उगाया जा सकता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। इस तकनीक से जबलपुर में कई प्राइवेट नर्सरियों में भी बांस की कई प्रजातियाें का उत्पादन किया जा रहा है।
Created On :   1 Dec 2025 7:18 PM IST












