Jabalpur News: स्टॉक समय पर मिले तो और उपयोगी साबित हो सकते हैं जेनेरिक दवा स्टोर्स

स्टॉक समय पर मिले तो और उपयोगी साबित हो सकते हैं जेनेरिक दवा स्टोर्स
  • ऑर्डर देने के बाद भी विक्रेता को देर से मिलती हैं दवाएं
  • शहर में संचालित हैं 20 पीएम जनऔषधि केंद्र
  • प्रदेश में एक भी डिस्ट्रीब्यूटर नहीं, दूसरे राज्यों से आती हैं दवाएं

Jabalpur News: जिले में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र की संख्या में समय के साथ इजाफा हुआ है, जिसके चलते जेनेरिक दवाओं को लेकर भी लोगों में जागरूकता बढ़ी है लेकिन यह भी देखने में आ रहा है कि कई बार लोगों को कोई दवा समय पर नहीं मिल पाती है। बताया जा रहा है कि पीएम जन औषधि केद्रों में ऑर्डर देने के बाद भी समय पर दवाएं नहीं पहुंच रही हैं।

यह समस्या लंबे वक्त से बनी हुई है। इन केंद्रों का संचालन कर रहे विक्रेताओं को यूं तो किसी तरह की शिकायत नहीं है, लेकिन समय पर स्टॉक न मिलने की समस्या सबके सामने आती है। लोगों का कहना है कि अगर समय पर स्टॉक मिले तो प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र उपयोगी साबित हो सकते हैं। बता दें कि वर्तमान में शहर में 20 प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र संचालित हैं।

डिस्ट्रीब्यूटर न होने से समस्या

कुछ विक्रेताओं ने बताया कि केंद्र में कोई दवा खत्म होने से पहले ही ऑर्डर कर दी जाती है, लेकिन ऑर्डर मिलने में ही कई बार 15 दिन तक समय लग जाता है। ऐसे में पुराना स्टॉक खत्म हो जाता है और मरीजों को संबंधित दवा के लिए इंतजार करना पड़ता है। विक्रेताओं के अनुसार देश में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र में दवाएं भेजने वाले डिस्ट्रीब्यूटर बेहद सीमित हैं।

मप्र में एक भी वेयरहाउस नहीं है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र से दवाएं पहुंचती हैं। डिस्ट्रीब्यूटर खर्च बचाने के लिए सामान्य ट्रांसपोर्ट से ये दवाएं भेज देते हैं, ऐसे में और वक्त लगता है।

साॅफ्टवेयर आधारित है सिस्टम

जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र का संचालन सॉफ्टवेयर आधारित है। संचालक विक्रय के लिए दवाओं की मांग सॉफ्टवेयर के माध्यम से करते हैं। ऑनलाइन ऑर्डर देने के बाद संबंधित दवा जिस डिस्ट्रीब्यूटर के पास होती है, वहां से ऑर्डर डिस्पैच कर दिया जाता है।

पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग में फर्क, जानिए... क्या होती हैं जेनेरिक दवाएं?

जेनेरिक दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है, जिनका कोई ब्रांड नेम नहीं होता है। इनको सॉल्ट नेम (फाॅर्मूला) से बेचा और पहचाना जाता है। ये दवाएं बिना किसी पेटेंट के बनाई और वितरित की जाती हैं। दरअसल जब ब्रांडेड दवाओं का सॉल्ट मिश्रण और उत्पादन से एकाधिकार समाप्त हो जाता है तब उन्हीं के फाॅर्मूले और सॉल्ट के प्रयोग से जेनेरिक दवाइयां बनाई जाती हैं, इसलिए जेनेरिक दवाएं अपने समकक्षों के समान ही होती है, इनमें सिर्फ पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग का अंतर होता है।

क्या बड़ी कंपनियां बनाती हैं जेनेरिक दवाएं? जानकार बताते हैं कि भारत में ज्यादातर जेनेरिक दवाओं का ही विक्रय किया जाता है। करीब 80 प्रतिशत मार्केट जेनेरिक दवाओं का ही है, वहीं पेटेंटेड दवाओं का मार्केट करीब 20 फीसदी है। बड़ी कंपनियां भी जेनेरिक दवाएं बनाती हैं, जिन्हें ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं कहते हैं। ये भी छोटी कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली जेनेरिक दवाओं की तरह ही होती हैं, हालांकि कीमत में थोड़ा फर्क हो सकता है।

क्या पेटेंटेड दवाओं के मुकाबले होती हैं सस्ती ? जेनेरिक दवाओं के सस्ते होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि इन दवाओं को बनाने में होने वाली रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए कंपनी को खर्च नहीं करना होता है। यह पहले ही हो चुका होता है और कोई प्रमोशन नहीं करना होता है। इन दवाओं की पैकेजिंग में ज्यादा खर्च नहीं आता है। इसके अलावा मास प्रोडक्शन के कारण कीमतें काफी कम हो जाती हैं। कई बार तो ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमतों में नब्बे प्रतिशत तक का फर्क होता है।

क्या बड़ी कंपनियां नहीं बनने दे रहीं डिस्ट्रीब्यूटर ? - दवा व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रदेश में भी प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से जुड़ी दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए डिस्ट्रीब्यूटर होना जरूरी है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि बड़ी कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटर बनने नहीं दे रहीं, बल्कि बड़ी कंपनियां भी जेनेरिक दवाएं बनाती हैं।

शहर में करीब 2 हजार दवा दुकानें

जबलपुर केमिस्ट एंड ड्रग एसोसिएशन के पूर्व सचिव डॉ. चंद्रेश जैन ने बताया कि शहर में होलसेल और रिटेल मिलाकर 1800-2000 के करीब दवा दुकानें हैं, जिसमें 20 प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र हैं। इसके अलावा दवा इंडिया और जन आरोग्य केंद्रों के माध्यम से भी जेनेरिक दवाओं का विक्रय किया जाता है, जिन्हें मिलाकर 50 के करीब जेनेरिक मेडिसिन स्टोर्स होंगे। पेटेंटेड के मुकाबले जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, लेकिन कमतर नहीं हैं। इसके लिए इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित किया जाना जरूरी है, इसलिए समय-समय पर टेस्टिंग की जानी चाहिए। दवाएं डब्ल्यूएचओ जीएमपी स्तर की होनी चाहिए।

विक्रेताओं ने कहा

किसी तरह की समस्या नहीं

गंभीर बीमारियों के उपचार में जेनेरिक दवाओं को लेकर मरीजों का रुझान बढ़ा है। मरीज या उनके परिजन प्रिस्क्राइब की गई दवा में उपलब्ध फाॅर्मूला को देखकर भी दवाएं ले जाते हैं। संचालन को लेकर किसी तरह की समस्या नहीं है, हालांकि ऑर्डर देने के बाद कई बार स्टॉक समय से नहीं आता है।

-रिमझिम विशेष यादव, जेनेरिक दवा विक्रेता, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर

स्टॉक मिले तो नहीं होगी परेशानी

प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र की दवाओं से कुछ बीमारियों में मरीजों को जल्द राहत मिलती है। अब जेनेरिक दवाओं में भी कॉम्बीनेशन आने लगे हैं, जिससे मरीजों को लगभग सभी दवाएं मिल जाती हैं। स्टॉक समय पर न मिलने की समस्या शुरू से ही है, अगर समय पर ऑर्डर की दवाएं मिलने लगें तो जनता को परेशानी नहीं होगी।

-नमन मिश्रा, जेनेरिक दवा विक्रेता, भेड़ाघाट चौराहा

दिए जाएंगे निर्देश

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र लोगों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध करने के उद्देश्य शुरू किए गए हैं। यह उपक्रम औषधि विभाग के अंतर्गत है। इस संबंध में औषधि निरीक्षक से चर्चा कर निर्देश दिए जाएंगे।

-डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ

समय-समय पर करते हैं जांच

जिले में अलग-अलग स्थान पर 27 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित है। केंद्रों का संचालन नियमानुसार हो रहा है या नहीं इसके लिए समय-समय पर जांच कर निर्देश जारी किए जाते हैं।

-शरद जैन, ड्रग इंस्पेक्टर

Created On :   1 May 2025 6:16 PM IST

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