Jabalpur News: ट्रांसफाॅर्मरों में प्रॉपर अर्थिंग न होने से फैलता है करंट, दर्जनाें जानें गईं, मुआवजा सिर्फ कुछ को

ट्रांसफाॅर्मरों में प्रॉपर अर्थिंग न होने से फैलता है करंट, दर्जनाें जानें गईं, मुआवजा सिर्फ कुछ को
लापरवाही का करंट: इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर की रिपोर्ट तय करती है लापरवाही, लेकिन ज्यादातर मामलों में गोलमाल

Jabalpur News: झूलते बिजली के तारों और खुले पड़े ट्रांसफाॅर्मरों से होने वाली दुर्घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस तरह के हादसों में ज्यादातर लोगों की या जान चली जाती है या जिन्दगी भर के लिए वे अपाहिज हो जाते हैं, लेकिन बिजली विभाग हमेशा ही अपनी गलतियों का ठीकरा जनता की अनदेखी या दूसरे लोगों पर फोड़ देता है। ऐसा नहीं है कि मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करंट से होने वाली मौतों या घायलों को मुआवजा नहीं देती।

मौत पर 4 लाख और 60 प्रतिशत से अधिक विकलांगता पर 2 लाख के साथ 60 प्रतिशत से कम घायल होने पर 59 हजार रुपए दिए जाते हैं। लेकिन यह सबकुछ शासन द्वारा नियुक्त इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर की रिपोर्ट तय करती है। इसलिए हर साल जिले में सार्वजनिक जगहों पर करंट फैलने के कारण दर्जनों मौतें होती हैं, लेकिन मुआवजा गिने-चुनों को ही मिलता है। जनवरी 2025 से अब तक सार्वजनिक स्थानों पर करंट से होने वाली मौतों का आंकड़ा 60 से ज्यादा है, लेकिन विभाग ने अपनी लापरवाही होने पर महज 6 मामलों में ही मुआवजा दिया है।

मुआवजे की राशि होनी चाहिए 20 लाख

मप्र विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि करंट की चपेट में आकर मृत हाेने वाले संविदा और आउटसोर्स कर्मियों के साथ आम नागरिकों के लिए तय की गई मुआवजा राशि काफी कम है। जिसको लेकर उनका संगठन वर्ष 2023 से लगातार मुआवजे की राशि 20 लाख रुपए करने की मांग करता आ रहा है। इस संबंध में कंपनी के एमडी, ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री को कई बार ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं।

मेंटेनेंस पर करोड़ों खर्च, हालात बेहद खराब

सार्वजनिक स्थानों पर बिजली के खंभों-लाइनों और ट्रांसफाॅर्मरों के मेंटेनेंस पर हर साल शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहता है। जानकारों का कहना है कि विद्युत पोल और ट्रांसफाॅर्मरों में प्रॉपर अर्थिंग नहीं की जाती, जिसकी वजह से जरा सी नमी होने पर आसपास के एरिया में करंट फैल जाता है, जिसकी चपेट में आने से लोगों की जान तक चली जाती है। क्योंकि अर्थिंग सही होने पर संपर्क में आने वाला झटका लगने के साथ दूर हो जाता है, लेकिन अर्थिंग प्रॉपर न होने पर दोगुनी गति से करंट असर दिखाता है। शहरी क्षेत्रों में तो जनता के साथ अधिकारियों की भी नजर रहती है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ध्यान नहीं दिया जाता, यही वजह है कि करंट से होने वाली ज्यादातर मौत के मामले ग्रामीण इलाकों में ही होते हैं।

शहर में 2 व ग्रामीण में 4 को मिला मुआवजा

बिजली कंपनी के सिटी सर्किल में विगत 16 अक्टूबर को टेमर-भीटा इलाके में दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान झूलती हुई लाइन के संपर्क में आने के बाद मृत हुए दो युवकों को 4-4 लाख का मुआवजा दिया गया है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में हुई अलग-अलग घटनाओं में 4 लोगों को 4-4 लाख का मुआवजा दिया गया है। इसी तरह पांच दिन पूर्व बरेला के बम्हनी गांव में ट्रांसफाॅर्मर के समीप करंट की चपेट में आकर मृत 52 वर्षीय शांति बाई की मौत के मामले में जांच चल रही है। दूसरे की लापरवाही पर एफआईआर दर्ज कराता है विभाग करंट से होने वाली दुर्घटनाओं और मौत के किसी भी मामले में जांच के बाद बिजली विभाग लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराता है। 6 अक्टूबर को बरगी हिल्स में दुर्गा पंडाल के पास हुई दो बच्चों की मौत के मामले में इलेक्ट्रिशिन के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी ने करंट से होने वाली मौत में विभागीय लापरवाही होने पर मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का नियम बनाया है। नियमों और जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाती है। झूलती लाइनों और खराब ट्रांसफाॅर्मरों के सुधार को लेकर हमारी मेंटेनेंस टीमें लगातार कार्रवाई करती हैं।

-संजय अरोरा, एसई सिटी सर्किल

Created On :   28 Oct 2025 1:55 PM IST

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