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Jabalpur News: नालों के प्रबंधन के मामले में ननि की रिपोर्ट अधूरी

Jabalpur News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नालों के प्रबंधन के मामले में नगर निगम जबलपुर द्वारा पेश की गई अधूरी रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व एक्सपर्ट मेम्बर डाॅ. ए. सेंथिल वेल की युगलपीठ ने नगर निगम आयुक्त को सभी बिंदुओं पर तथ्यात्मक विस्तृत रिपोर्ट के साथ आगामी सुनवाई तिथि 26 अप्रैल, 2026 को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के निर्देश दे दिए। एनजीटी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि निगम ने नालों के उद्देश्य, प्रवाह की मात्रा व गुणवत्ता और अतिक्रमणों की पूरी जानकारी नहीं दी है। नालों के कुप्रबंधन व उनमें सीवेज बहाने की गंभीर स्थिति चिंताजनक है।
एनजीटी ने कहा कि ओमती और मोती नाला की चौड़ाई 80 फीट से घटाकर 40 फीट किए जाने और इस प्रक्रिया में 374 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नालों में मलबा भरा हुआ है। कंक्रीट के खंभे और ढकाव बनने से सफाई और जल प्रवाह बाधित होने की गंभीर शिकायत सामने आई है। दैनिक भास्कर जबलपुर संस्करण में 25 अप्रैल 2025 को प्रकाशित खबर "यह भी अजब, करोड़ों रुपए से बने नालों में भरा मलबा, अगल-बगल से निकल रहा पानी' पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी।
एनजीटी के नोटिस के बाद नगर निगम द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया। नगर निगम जबलपुर ने मदन महल क्षेत्र में अतिक्रमणों की बात स्वीकार की और हटाने की कार्रवाई शुरू करने का दावा किया। यह भी बताया गया कि राज्य लोक निर्माण विभाग ने पुल निर्माण हेतु नाले के मध्य खंभे बनाए हैं, जिनसे प्रवाह प्रभावित हुआ है। विभाग ने दावा किया कि अवरोध वाले हिस्से में बायपास ड्रेन बनाई गई है। निगम ने बताया कि नालों की सफाई मशीनों व मैनुअल विधियों से की जा रही है। प्राथमिक नालों की पूरी तरह यांत्रिक सफाई हुई है। द्वितीयक नाले मैनुअल व मशीन मिश्रित प्रणाली से साफ किए जा रहे हैं। तृतीयक नालों की सफाई कर्मियों द्वारा मैनुअल की जा रही है।
घरों का पानी सीधे नालों में
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि अधिकांश घर सीवरेज नेटवर्क से जुड़े नहीं हैं और घरों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे नालों में बह रहा है। जबलपुर के एसटीपी की कुल क्षमता 154.38 एमएलडी है, परंतु केवल 58.745 एमएलडी का ही उपयोग हो रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरीक्षण में पाया गया कि फ्लाईओवर के खंभों से ओमती नाले का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हुआ है। नालों की चौड़ाई कम कर पक्कीकरण किया गया है, जिससे वर्षा ऋतु में जलभराव की स्थिति बनती है। नालों की नियमित सफाई नहीं हो रही है।
Created On :   28 Oct 2025 4:20 PM IST












