Jabalpur News: अभी भी खुला है मौत का सेप्टिक टैंक, 5 सफाई कर्मचारियों के भरोसे अस्पताल की सफाई व्यवस्था

अभी भी खुला है मौत का सेप्टिक टैंक, 5 सफाई कर्मचारियों के भरोसे अस्पताल की सफाई व्यवस्था
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जांच टीमें पहुंचीं सामुदायिक अस्पताल

Jabalpur News: मनमोहन नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में 2 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार सेप्टिक टैंक अभी भी खुला है। इतनी बड़ी घटना के बाद तुरंत ढकने की बजाय टैंक को खुला छोड़ दिया गया है। यही नहीं परिसर में दूसरे स्थानों पर भी चैंबर खुले हुए हैं और कुछ चैंबरों के ढक्कन टूटे हुए हैं। अस्पताल की सफाई व्यवस्था 5 सफाई कर्मचारियों के भरोसे है, जिनके द्वारा अस्पताल के भवन की साफ-सफाई की जाती है, लेकिन परिसर की सफाई व्यवस्था चौपट है, क्योंकि परिसर की सफाई लिए कर्मचारियों की कमी है। वर्तमान स्थिति यह है कि अस्पताल तीन तरफ से बड़ी-बड़ी झाड़ियों और गाजरघास से घिरा हुआ है। सेप्टिक टैंक, जहां घटना हुई वहां पर भी यही स्थिति है।

अस्पताल की सिक्योरिटी भी 3 गार्डों के हवाले है, जो कि तीन अलग-अलग शिफ्टों में ड्यूटी करते हैं, जिसके चलते असामाजिक तत्व भी यहां प्रवेश कर जाते हैं। सोमवार को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जांच टीमें मौके पर पहुंचीं और घटना को लेकर अस्पताल परिसर में रहने वाले कर्मचारियों, अस्पताल के स्टाफ और प्रभारी के बयान दर्ज किए।

आज जांच रिपोर्ट सौंपेगी टीम

जिला प्रशासन द्वारा एसडीएम आरएस मरावी के नेतृत्व में टीम पहुंची और पड़ताल की। इधर जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से डीएचओ डॉ. जया श्रीवास्तव और मीडिया अधिकारी अजय कुरील ने बयान दर्ज कराए। जांच टीमों ने सेप्टिक टैंक के नजदीक क्वार्टर में रहने वाले परिवारजनों के बयान लिए। इसके अलावा अस्पताल स्टाफ से भी घटना के वक्त उनकी उपस्थिति एवं अन्य चीजों को लेकर पूछताछ की।

उपेक्षा का शिकार अस्पताल, बड़ी आबादी निर्भर

बता दें कि मनमाेहन नगर अस्पताल प्रदेश का पहला शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। एक बड़ी आबादी इस पर निर्भर है, इसके बाद भी यह शासन की उपेक्षा का शिकार रहा है। क्षेत्रीय जनता की मांग पर समाजसेवियों, जनप्रतिनिधि और जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रयास किए जाने पर अस्पताल बीते 6 वर्षों से संचालित हो रहा है। रोजाना औसतन 300 मरीज यहां आते हैं, लेकिन आज भी जरूरत के मुताबिक चिकित्सकों और स्टाफ की कमी है।

अस्पताल प्रभारी को हटाया| घटना के दूसरे दिन सोमवार शाम को अस्पताल प्रभारी डॉ. अंशुल शुक्ला को पद से हटाते हुए सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ करने के आदेश जारी कर दिए गए। आदेश में प्रशासकीय कार्यसुविधा को इसकी वजह बताया गया है, हालांकि इसे घटना के बाद की गई कार्रवाई से जोड़ा जा रहा है। घटना के तुरंत बाद सफाई ठेकेदार गौरव पिल्लई को भी बर्खास्त कर दिया गया था।

अस्पताल में सफाई व्यवस्था के लिए 5 कर्मचारी लगे हुए हैं, जो कि 3 शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। पूरे परिसर को स्वच्छ रखने, खरपतवार हटाने और कबाड़ हो चुके वाहनों को हटाने के लिए रोगी कल्याण समिति के माध्यम से और कर्मचारियों की व्यवस्था की जा रही है। घटना की जांच के लिए विभाग द्वारा 2 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, इसके अलावा जिला प्रशासन की टीम ने भी जांच की है।

-डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ

घनी झाड़ियाें से बढ़ा जीव जंतुओं का भी खतरा

अस्पताल परिसर में मौजूद वैक्सीनेशन केंद्र में आने वाले बच्चे अक्सर यहां लगाए गए झूलों और स्लाइड पर खेलते नजर आते हैं, लेकिन परिसर में घनी झाड़ियों और खरपतवार के चलते जहरीले जीव जतुंओं का खतरा भी बना रहता है। मरीजों, उनके परिजनों और स्टाफ के लिए भी यह खतरे से खाली नहीं है। अस्पताल परिसर में कुछ माह पूर्व कंडम हालत में पड़ी दो एम्बुलेंस को भी अज्ञात लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। तब से वे एम्बुलेंस उसी हालत में पड़ी हुई हैं।

Created On :   28 Oct 2025 6:17 PM IST

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