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Jabalpur News: आयुष और फिजियोथेरेपी क्लीनिकों के लिए भी अब पॉल्यूशन एनओसी अनिवार्य

Jabalpur News: होम्योपैथी, आयुर्वेद सहित अन्य आयुष पद्धतियों के चिकित्सक तथा फिजियोथेरेपी के निजी क्लीनिकों को भी अब पंजीयन के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब तक एलोपैथी प्रैक्टिस करने वाले क्लीनिक ही पॉल्यूशन एनओसी के साथ संचालित हो रहे थे, लेकिन कई बार जांच में यह सामने आया कि आयुष पद्धतियों के चिकित्सकों द्वारा भी इंजेक्टेबल प्रैक्टिस की जा रही है, जिसमें बायो मेडिकल वेस्ट भी निकलता है।
ऐसे में अब सभी विधाओं में प्रैक्टिस करने वाले क्लीनिकों और फिजियोथेरेपी सेंटर के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है। निर्देश हैं कि नवीन पंजीयन एवं पंजीयन के नवीनीकरण हेतु म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्राधिकृति प्रमाण-पत्र की अनिवार्य उपलब्धता दृष्टिगत रखा जाए। जानकारी के मुताबिक जिले में संचालित आधे से अधिक क्लीनिकों के पास पॉल्यूशन एनओसी नहीं है।
28 फरवरी तक का समय
नोडल अधिकारी डॉ. आदर्श विश्नोई ने बताया कि जिले में संचालित सभी नर्सिंग होम, अस्पतालों एवं क्लीनिकों को नवीन पंजीयन अथवा पंजीयन नवीनीकरण के लिए आगामी 1 जनवरी से 28 फरवरी तक का समय निर्धारित किया गया है। ऐसे में जिन भी अस्पतालों या क्लीनिकों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है, उन्हें नवीन पंजीयन या पंजीयन नवीनीकरण नहीं दिया जाएगा। क्लीनिक को 10 वर्ष के लिए पॉल्यूशन एनओसी मिलती है। विभाग द्वारा 30 मार्च तक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
इन विधाओं के लिए जरूरी
जारी निर्देशों के अनुसार आयुष पद्धति जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा, नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) तथा फिजियोथेरेपी केन्द्रों के समस्त चिकित्सा संस्थानों को चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में कवर किया गया है। अतः इन चिकित्सा संस्थानों को नियमानुसार म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऑथराइजेशन प्राप्त करना अनिवार्य है।
क्यों जरूरी पॉल्यूशन एनओसी
पॉल्यूशन बोर्ड की एनओसी लेने के लिए संस्था को बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसेलिटी से टाइअप करना होता है, जोकि क्लीनिक या अस्पताल से वेस्ट कलेक्ट करती है। टाइअप के बाद ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट दिया जाता है। बायोमेडिकल वेस्ट रेड, ब्लू औ यलो, तीन कैटेगरी में एकत्रित होता है। रेड कैटेगरी में प्लास्टिक, ब्लू में कांच एवं नुकीला कचरा और यलो में मानव अंग अथवा ब्लड शामिल हैं।
जिले के आंकड़ों पर एक नजर
क्लीनिकों की संख्या - 712
आयुष विधा के क्लीनिक - 400
Created On :   17 Nov 2025 5:38 PM IST












