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इस बार भी एक-दो सीटों पर कम ही रहेगा हार-जीत का अंतर
डिजिटल डेस्क जबलपुर। विधानसभा चुनाव मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ अलग-अलग सीटों पर मुकाबला रोचक हो चला है। जनसंपर्क और सभाओं का दौर जारी है, साथ ही चौपाल पर चर्चा, चाय-पान की दुकानों और परचून की दुकानों में खरीददारी तक हार-जीत के अंतर के दावे किये जाने लगे हैं। विधानसभा की पूरी 8 सीटों पर कितने में भाजपा जीतेगी और कितने में कांग्रेस बाजी मारेगी यह तो परिणाम के दिन पता चलेगा, लेकिन फिलहाल इस चुनावी चर्चा के बीच यह तय है कि कुछ सीटों पर उम्मीदवारों की जीत एकदम नजदीकी हो सकती है।
पिछले विधानसभा चुनाव (वर्ष 2018) के वोटों के आँकड़े दर्शाते हैं कि कहीं-कहीं मामला नजदीक भी जा सकता है। मध्य में ही दो निर्दलीय उम्मीदवार धीरज पटेरिया, सीताराम सेन ने 34 हजार वोट हासिल िकये थे, जिससे जीत का अंतर कम हो गया था। यहाँ पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विनय सक्सेना केवल 578 वोट से जीत सके थे, वहीं ग्रामीण सीट पनागर से भाजपा के सुशील तिवारी इंदू ने लगभग 42 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इस तरह जीत का कम या ज्यादा अंतर कुछ सीटों पर इस बार भी चौंका सकता है।
इन सीटों पर तीसरे का भी दखल -
जिले की सिहोरा, बरगी विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहाँ मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा के बीच तो होता है, लेकिन साथ ही तीसरे दल भी अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सिहोरा सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को यहाँ 5937 वोट हासिल हुये, तो बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार को 6 हजार 8 वोट मिले। इस तरह दोनों ने अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिससे भाजपा उम्मीदवार नंदनी मरावी 6823 मतों से जीत सकी थीं। इसी तरह बरगी विधानसभा में अन्य दल को 5 हजार के करीब वोट मिले थे।
दोनों पार्टियों के बीच में 31 हजार मतों का अंतर -
विधानसभा के पिछले चुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच जिले में कुल मतों का अंतर वैसे भी ज्यादा नहीं था। जानकारी के अनुसार आठों विधानसभाओं की बात की जाए तो भाजपा को कुल 5,67,506 वोट हासिल हुए थे, वहीं कांग्रेस का आँकड़ा 5,35,673 मतों तक जा पहुँचा था। इस तरह दोनों दलों के बीच मतांतर सिर्फ 31,833 मतों का ही था। कहा जा रहा है कि इस बार भी विधानसभा वार जीत-हार का फासला कहीं कम तो कहीं ज्यादा हो सकता है।
Created On :   5 Nov 2023 11:47 PM IST