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Latur News: मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा - देश ने राजनीति में शालीनता रखना वाला विचारशील नेतृत्व खोया

- निष्कलंक और सुसंस्कृत नेतृत्व का उज्ज्वल अध्याय समाप्त
- शिवराज पाटिल चाकूरकर का 91 वर्ष की आयु में निधन
- सुसंस्कृत व्यवहार और विचारशील नेतृत्व को खोया — मुख्यमंत्री फडणवीस
- विरोधियों पर भी कभी कटु टिप्पणी नहीं की
Latur News. संजय बुच्चे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने देवघर पहुंचकर नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि देश ने एक शांत, उच्च नैतिक मूल्यों वाले, मर्यादित और सुसंस्कृत नेता को खो दिया है। फडणवीस ने कहा “राजनीति में शालीनता और सुसंस्कृतता का आदर्श यदि किसी से सीखना हो, तो वह शिवराज पाटिल चाकूरकर जैसे नेताओं से ही सीखा जा सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र की राजकीय परंपराओं का मान पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया।” मुख्यमंत्री ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि पाटिल चाकूरकर का संतुलित नेतृत्व और शांत, सर्वसमावेशक दृष्टि राजनीति और समाज के लिए सदैव मार्गदर्शक रहेगी। लातूर से दिल्ली तक छह दशकों से अधिक समय तक राजनीति के केंद्र में रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और पंजाब के पूर्व राज्यपाल शिवराज पाटिल चाकूरकर का 12 दिसंबर (शुक्रवार) सुबह 6:30 बजे 91 वर्ष की आयु में लातूर के देवघर निवास पर निधन हो गया। वे पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने लातूर आए थे, जहां उनकी तबीयत बिगड़ गई। घर पर ही उपचार चल रहा था। दिल्ली एयरलिफ्ट के लिए एयर एम्बुलेंस भी तैयार थी, पर शिफ्ट करना जोखिमपूर्ण बताया गया। शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया। उनके निधन से लातूर सहित पूरे राज्य में शोक की लहर फैल गई। निधन का समाचार मिलते ही पूर्व मंत्री दिलीपराव देशमुख, विधायक अमित देशमुख, विधायक संभाजी पाटील निलंगेकर सहित कई जनप्रतिनिधि देवघर निवास पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। अमित देशमुख इस दौरान भावुक दिखाई दिए।
13 दिसंबर को सुबह 11 बजे लातूर एमआईडीसी के समीप स्थित वरवंटी के खेत में शासकीय इतमा के अंतर्गत अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पशुसंवर्धन मंत्री पंकजा मुंडे ने भी शुक्रवार दोपहर उपस्थित होकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनका कार्य और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी — दिलीपराव देशमुख
पूर्व मंत्री व सहकार महर्षी दिलीपराव देशमुख ने देवघर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा “पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल चाकूरकर के निधन से भारतीय राजनीति में सुसंस्कृत, संयमी और सिद्धांतनिष्ठ नेतृत्व का एक स्तंभ खो गया है। लोकसेवा के प्रति उनका समर्पण और उच्च नैतिक मूल्य आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करेंगे।”
स्वच्छ और अनुकरणीय राजकीय सफर
शिवराज पाटिल चाकूरकर का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को हुआ। राजनीतिक जीवन पांच दशक से अधिक लंबा रहा। इस दौरान उन पर न कभी भ्रष्टाचार का आरोप लगा और न ही किसी विवाद में वे घिरे। वे उन दुर्लभ नेताओं में थे जिन्होंने राजनीति में शुचिता और संयम को आचरण में उतारा।
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राजकीय कार्यकाल : प्रमुख पद
- शिक्षा : हैदराबाद विश्वविद्यालय
- मुख्य पदों का कार्यकाल
- नगराध्यक्ष, लातूर — 1966–1970
- विधायक, लातूर — 1972–1980
- महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष — 1977–1978
- महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष — 1978–1979
- लोकसभा सांसद, लातूर — 1980–2004
- केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री — 1980–1982
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्री — 1982–1983
- केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री — 1983–1984
- लोकसभा उपाध्यक्ष — 1990–1991
- लोकसभा अध्यक्ष — 1991–1996
- केंद्रीय गृहमंत्री — 2004–2008
- राज्यसभा सदस्य — 2004–2010
- पंजाब के राज्यपाल — 2010–2015
एक भी आरोप नहीं — राजनीति में दुर्लभ उदाहरण
लिंगायत समुदाय से होने के बावजूद उन्होंने कभी जातीय राजनीति नहीं की। गांधी परिवार के निकट रहने के बावजूद गुटबाजी से दूरी बनाए रखी। मुस्लिम समाज समेत सभी वर्गों में उनका समान सम्मान था। उनकी शुचिता, अनुशासन और संयम राजनीति के लिए आदर्श थे।
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विरोधियों पर भी कभी कटु टिप्पणी नहीं की
1991 और 2004 के चुनावों में विलासराव देशमुख और गोपीनाथ मुंडे ने मिलकर उन्हें हराने की रणनीति बनाई थी। मुंडे ने सार्वजनिक मंच पर भी इसे स्वीकार किया, लेकिन चाकूरकर ने कभी कटु प्रतिक्रिया नहीं दी। यह संयम आज की राजनीति में दुर्लभ है।
2009 जिला परिषद चुनाव और ‘देवघर कनेक्शन’
2009 के जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारों के बजाय पंडित धुमाल और संभाजी पाटिल अध्यक्ष–उपाध्यक्ष बने। कुछ लोगों ने इसे “देवघर से हुई राजनीतिक चाल” बताते हुए चाकूरकर को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन जब नेतृत्व द्वारा उनसे पूछा गया, तो उन्होंने शांत स्वर में कहा—“जो चुने गए हैं, क्या वे कांग्रेस के हैं?” उत्तर ‘हाँ’ मिलने पर उन्होंने कहा—“तो आगे बढ़ो, मैं साथ हूँ।” यह उनका सिद्धांतनिष्ठ और गुटबाजी से ऊपर उठकर काम करने का स्पष्ट उदाहरण था।
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सीआरपीएफ–बीएसएफ यूनिट और अन्य परियोजनाओं में प्रमुख भूमिका
- केंद्रीय सीआरपीएफ और बीएसएफ प्रशिक्षण यूनिट की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
- मुंबई रेल मार्ग, मांजरा शुगर फैक्ट्री की मंजूरी सहित कई परियोजनाओं के पीछे उनका प्रभाव रहा, लेकिन उन्होंने कभी श्रेय नहीं लिया और न ही प्रचार किया।
- कई अवसरों पर दूसरों ने श्रेय ले लिया, फिर भी वे मौन रहे—यह उनकी विनम्रता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
ऐसे थे शिवराज पाटिल चाकूरकर के गुण
सत्ता में रहते हुए भी विनम्रता
मराठी, हिंदी और अंग्रेजी पर असाधारण पकड़
गहन अध्ययनशीलता
शांत स्वभाव और संतुलित नेतृत्व
प्रभावी वक्तृत्व
सर्वधर्म समभाव
किसी के प्रति कटुता नहीं
शिवराज पाटिल चाकूरकर के निधन से लातूर, मराठवाड़ा और देश की राजनीति में एक संयमी, निष्कलंक और मूल्यनिष्ठ व्यक्तित्व की रिक्तता उत्पन्न हुई है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं दिखती। उनके पीछे पुत्र शैलेश पाटिल, पुत्रवधू अर्चना पाटिल और दो नातिनें हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अंत्यदर्शन के लिए उपस्थित रहेंगे।
Created On :   12 Dec 2025 7:28 PM IST














