बॉम्बे हाईकोर्ट: वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं की अंतरराज्यीय तस्करी पर केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं की अंतरराज्यीय तस्करी पर केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब
  • केंद्र और राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश
  • याचिकाकर्ता को भी जवाब दाखिल करने को कहा
  • अदालत ने राज्य में मानव तस्करी विरोधी दस्ते और महिला सहायता डेस्क के कामकाज की भी जानकारी मांगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने वेश्यावृत्ति के लिए राज्य समेत अंतरराज्यीय स्तर पर महिलाओं की तस्करी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने राज्य सरकार से हलफनामा दायर कर मानव तस्करी विरोधी दस्ते और महिला सहायता डेस्क के कामकाज की जानकारी मांगी। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने 4 अक्टूबर को मानव तस्करी गिरोह के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले सरकारी संगठन रेस्क्यू फाउंडेशन की ओर वकील चेतन माली दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई। 2017 में दायर जनहित याचिका में जांच एजेंसियों को 1956 के कानून के तहत सभी मामलों में धारा 370 और 370 (ए) के तहत लोगों की तस्करी के अपराधों के लिए भर्ती करने वालों, तस्करों, ट्रांसपोर्टरों, गुप्तचरों, विक्रेताओं और शरण देने वालों का पता लगाने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने अपने 36 जिलों में से केवल 12 जिलों में मानव तस्करी विरोधी दस्ता बनाया है। उत्तर भारत, नेपाल और बंग्लादेश से लड़कियों को काम के बहाने लाया जाता है, जिन्हें पुणे, मुंबई, ठाणे समेत प्रमुख शहरों में वेश्यावृत्ति के लिए बेच दिया जाता है। अंतरराज्यीय स्तर पर वेश्यावृति के लिए लड़कियों एवं महिलाअों की तस्करी में काफी फीसदी की वृद्धि हुई है। अदालत ने राज्य के गृह विभाग को एक व्यापक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या जिलों में पुलिस स्टेशनों पर महिला सहायता डेस्क के साथ-साथ मानव तस्करी विरोधी इकाइयां (एएचटीयू) स्थापित की गई हैं और क्या वे काम कर रहे हैं और कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं?

साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम 1956 के तहत विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए नया हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। अदालत ने केंद्र और राज्य से चार सप्ताह के भीतर हलफनामा और उसके एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी।

Created On :   5 Oct 2023 7:05 PM IST

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