हाईकोर्ट ने कहा - डिस्टेंस एजुकेशन भी रेग्युलर के समान, एमबीए अभ्यार्थी का आवेदन स्वीकार करे एनपीसीआईएल

हाईकोर्ट ने कहा - डिस्टेंस एजुकेशन भी रेग्युलर के समान, एमबीए अभ्यार्थी का आवेदन स्वीकार करे एनपीसीआईएल
  • डिस्टेंस एजुकेशन भी रेग्युलर कोर्स के समान ही है
  • हाईकोर्ट का आदेश - एमबीए अभ्यार्थी का आवेदन स्वीकारे एनपीसीआईएल
  • ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन स्वीकार करें

डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन का रेग्युलर कोर्स के समान ही महत्व है। न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) उप प्रबंधक के पद पर आवेदन करने वाले अभ्यार्थी को डिस्टेंस एजुकेशन से एमबीए की पढ़ाई करने के आधार पर उसके आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकता है। अदालत ने एनपीसीआईएल को याचिकाकर्ता अभ्यार्थी के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन को स्वीकार करने का आदेश दिया है।

अभ्यार्थी ने भोपाल से की थी एमबीए की पढ़ाई

मुख्य न्यायाधीश रमेश धानुका और न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने मंगलवार को वकील प्रिया रोमबाडे की एनपीसीआईएल के उप प्रबंधक के पद पर आवेदन करने वाले अभ्यार्थी की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में एनपीसीआईएल के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें उसने अभ्यर्थी के एनपीसीआईएल में उप प्रबंधक (मानव संसाधन) की नौकरी के लिए आवेदन को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उसने भोपाल के मध्य प्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय से डिस्टेंस एजुकेशन से एमबीए की पढ़ाई की है। एनपीसीआईएल की ओर से कहा गया कि एमबीए का रेग्युलर कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों के ही आवेदन को स्वीकार किया जा सकता है।

क्या कहता है यूजीसी का सर्कुलर

याचिकाकर्ता के वकील रोमबाडे ने दलील दी कि यूजीसी ने सन 2013 में सर्कुलर जारी किया था, जिसमें डिस्टेंस एजुकेशन का रेग्युलर कोर्स की पढ़ाई को समान महत्व का बताया था। ऐसे में एनपीसीआईएल अभ्यार्थी को डिस्टेंस एजुकेशन के आधार पर उसके आवेदन को कैसे अस्वीकार कर सकता है? एनपीसीआईएल का व्यवहार अपमानजनक होने के साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के मूलभूत अधिकार का भी उल्लंघन है।

क्या है मामला

एनपीसीआईएल ने 112 उप प्रबंधक और 2 कनिष्ठ हिंदी अनुवादक के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन दिया है। इन पदों पर ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 29 मई थी। याचिकाकर्ता ने इस साल 11 मई को एनपीसीआईएल के विज्ञापन के आधार पर ऑनलाइन उप प्रबंधक के पद पर आवेदन किया था। 16 मई को एनपीसीआईएल की ओर से उसे उप प्रबंधक के पद के लिए अपात्र कर दिया गया। अभ्यार्थी को काफी धक्का लगा और उसने इसे 26 मई को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन का रेग्युलर कोर्स के समान ही महत्व है। एनपीसीआईएल को याचिकाकर्ता के आवेदन को ऑनलाइन स्वीकार करने और मेरिट के आधार पर अभ्यार्थी की नियुक्ति का आदेश दिया है। इसके साथ ही याचिका को समाप्त कर दी गई।

Created On :   30 May 2023 7:21 PM IST

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