Mumbai News: कारखानों को काम बंद और छंटनी के लिए सरकार से लेनी होगी पूर्व अनुमति

कारखानों को काम बंद और छंटनी के लिए सरकार से लेनी होगी पूर्व अनुमति
  • राज्य में 300 अथवा उसके अधिक कर्मी वाले कारखानों पर लागू होगा फैसला
  • सरकार ने महाराष्ट्र औद्योगिक संबंध संहिता नियम-2025 में किया प्रावधान

Mumbai News राज्य में 300 अथवा उससे अधिक कर्मचारी संख्या वाले कारखानों को काम बंद, कर्मियों की छंटनी और कारखाना बंद करने के लिए राज्य सरकार से अब पूर्व अनुमति लेनी होगी। राज्य के श्रम विभाग ने महाराष्ट्र औद्योगिक संबंध संहिता नियम-2025 में यह प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र वेतन संहिता नियम 2025 में बनाया गया है। सरकार ने कामगार कानून संहिता में संशोधन करके महाराष्ट्र कामगार संहिता नियम तैयार किया है। इस नियम की संहिता को अंतिम मंजूरी के लिए राज्य के श्रम विभाग की ओर से केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। राज्य के श्रम विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि राज्य के सभी प्रकार के औद्योगिक आस्थापना में हड़ताल करने से पहले 60 दिनों की नोटिस देना होगा। यह नोटिस दिए जाने के दिन से 14 दिनों के भीतर हड़ताल पर नहीं जाया जा सकेगा। जिन औद्योगिक आस्थापना में एक कामगार संगठन अथवा जिस कामगार संगठन के पास कम से कम 51 प्रतिशत कर्मी होंगे। ऐसे एकमात्र संगठन को मंजूरी देने का अधिकार कारखाना मालिक को प्रदान किया गया है। जिन आस्थापना में एक से अधिक कामगार संगठन होंगे, मगर उनके पास 51 प्रतिशत से अधिक कर्मी नहीं होंगे। ऐसे सभी कामगारों के संगठन के प्रतिनिधियों के लिए समझौता वार्ता समिति में स्थापित की जा सकेगी। अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से रीस्किलिंग निधि स्थापित की जाएगी। सरकार अन्य स्त्रोतों से इस फंड में अंशदान जमा करेगी। इससे कर्मियों की छंटनी की स्थिति में उनके बैंक खाते में अगले 45 दिनों के भीतर 15 दिन का वेतन जमा कराया जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि सरकार के महाराष्ट्र वेतन संहिता नियम के तहत राज्य के कारखानों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू न्यूनतम वेतन देना होगा। राज्य में 20 अथवा उससे अधिक कर्मी वाले कारखानों को बोनस देना पड़ेगा। कामगारों के इस्तीफा देने पर उनका अंतिम वेतन दो दिनों में अदा करना अनिवार्य होगा। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के रोकथाम अधिनियम का उल्लंघन करने के मामले में कोई व्यक्ति दोषी पाया गया तो वह अन्य सजा के साथ ही बोनस के लिए भी अपात्र होगा। वेतन, बोनस, न्यूनतन वेतन आदि के संबंध में दाखिल दावों पर सुनवाई करके आदेश पारित करने का अधिकार राजपत्रित दर्जे के अधिकार के पास होगा। अधिकारी ने बताया कि वेतन प्रदान अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कर्मचारियों के मासिक वेतन से लोन, अग्रिम राशि और अन्य कटौती वेतन का 75 प्रतिशत तक करने की छूट थी। लेकिन अब वेतन संहिता के अनुसार यह कटौती 50 प्रतिशत से अधिक नहीं की जा सकती है। वेतन संहिता में कर्मचारियों का कुल वेतन 50 प्रतिशत से अधिक राशि भत्ते के रूप में नहीं दिया जा सकता है। यदि कोई देता होगा तो उसको मूल वेतन में शामिल करना होगा। सलाहकार मंडल के कुल सदस्यों में से एक- तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी।


Created On :   3 May 2025 7:48 PM IST

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