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Mumbai News: एफडीए के एसटी आरक्षण वाले पदों पर दूसरों ने किया कब्जा, आरटीआई से मिली जानकारी

- जाति प्रमाण पत्र जांच के मामले अदालत में लंबित
- सरकार को शीघ्र निर्णय की दिशा में कार्रवाई करने की मांग
Mumbai News राज्य के अन्न व औषध प्रशासन (एफडीए) में गट क और गट ड संवर्ग में 14 गैर-आदिवासी लोगों ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षित पदों पर कब्जा किया है। फिलहाल इन 14 लोगों को सरकार ने अधिसंख्य पदों पर वर्गीकृत कर अनुसूचित जनजातियों के हड़पे गए पद रिक्त कर दिए हैं। मामले की जांच जारी है।
सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) से मिली जानकारी के अनुसार एफडीए में गट अ से गट ड तक कुल 1240 पद स्वीकृत हैं। इनमें से अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पदों की संख्या 92 है। जिसमें से 62 पद भरे गए हैं। अभी भी 30 पदों का पूर्व से लंबित कोटा और अधिसंख्य पदों पर वर्गीकृत किए गए 14 अधिकारियों/कर्मचारियों के पद मिलाकर कुल 44 पद खाली हैं। अनुसूचित जनजातियों के आरक्षित पदों पर नियुक्ति के बाद, 44 लोगों ने जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है। जबकि 18 लोगों ने अब तक प्रमाणपत्र नहीं जमा किए हैं। 4 सितंबर 2020 के शासनादेश के अनुसार नया स्ट्रक्चर मंजूर हुआ है। इसमें गट क के 89 और गट ड के 115 भरे हुए पद मृत घोषित किए गए हैं। इन्हें भी स्वीकृत पदों में शामिल किया गया है। इनमें गट ड के 2 पद छोड़कर सभी मृत संवर्ग में शामिल हैं।
गट ब के 3 अधिकारियों की जाति प्रमाण पत्र जांच के मामले अदालत में लंबित हैं। एक अधिकारी का जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराया गया, जिसके बाद उसने विशेष पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है।
गट क के 3 और गट ब के 1 कर्मचारी का मामला जाति प्रमाण पत्र जांच समिति के निर्णय की प्रतीक्षा में लंबित है।
उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश : अगर हाईकोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराने के समिति के निर्णय पर स्थगन आदेश दिया है, तो ऐसे मामलों में 6 जुलाई 2017 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न्यायालय के संज्ञान में लाकर सरकार को शीघ्र निर्णय की दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी मांग आदिवासी समाज ने रखी है।
पद भरने की चुनौती : राज्य के अन्न व औषध प्रशासन मंत्री नरहरि झिरवाल हैं। लेकिन आदिवासी समाज में यह चर्चा है कि वे बेरोजगार आदिवासी उम्मीदवारों की भर्ती की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अब मंत्री क्या रुख अपनाते हैं, इस पर पूरे राज्य के आदिवासी समाज की नजरें टिकी हैं। अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने की चुनौती उनके सामने है।
Created On :   3 May 2025 8:04 PM IST