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36 साल पुराने मामले में हाई कोर्ट का फैसला, आग से नुकसान होने पर रेलवे जिम्मेदार
- डब्ल्यूसीएल को 1.99 लाख मुआवजा देना होगा
- 36 साल पुराना मामला
- आग से नुकसान होने पर रेलवे जिम्मेदार
डिजिटल डेस्क, नागपुर. ट्रेन से लाई जा रही मशीन जलने पर रेलवे काे चंद्रपुर के वणी स्थित वेस्टर्न कोल फील्ड (डब्ल्यूसीएल) को 1.99 लाख का मुआवजा देने का आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कायम रखा है। रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने 27 जून 2008 काे मुआवजा संबंधी यह आदेश दिया था, जिसके खिलाफ रेलवे ने हाई कोर्ट में अपील की थी। मुआवजे के फैसले को सही ठहराते हुए हाई कोर्ट ने रेलवे की अपील खारिज की है।
डब्ल्यूसीएल को 1.99 लाख मुआवजा देना होगा
36 साल पुराना मामला : यह मामला करीब 36 साल पुराना है। मई 1987 में डब्ल्यूसीएल ने बैंगलोर से 1.99 लाख रुपए मूल्य की एक हाईटेक ड्रिलिंग मशीन मंगवाई थी। इस माल को रेलवे से लाया जा रहा था। यह पार्सल लेने जब डब्ल्यूसीएल के अधिकारी रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो देखा मशीन के बक्से बुरी तरह जले हुए हैं। मशीनों की डिलिवरी लेने से इनकार करते हुए डब्ल्यूसीएल ने टोकन डिलिवरी लेकर मशीन को रेलवे के पास ही रहने दिया, ताकि संबंधित अधिकारी नुकसान का मुआवजा दे सके। लंबे समय तक जब रेलवे ने अपेक्षित उत्तर नहीं दिया, तो डब्ल्यूसीएल ने मुआवजे के लिए ट्रिब्यूनल की शरण ली। ट्रिब्यूनल ने रेलवे को नुकसान का जिम्मेदार मानते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके खिलाफ रेलवे ने हाई कोर्ट में अपील दायर की। रेलवे की दलील थी कि, मशीन को 25 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ है, इसलिए वे मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है।
रेलवे की जिम्मेदारी
मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने माना कि, रेलवे अधिनियम की धारा 73 के तहत माल का नुकसान होने पर यह रेलवे की जिम्मेदारी है। ऐसे में आग से अगर माल क्षतिग्रस्त हुआ है, तो रेलवे को पीड़ित पक्ष को मुआवजा देना होगा। रेलवे ने जब इस मशीन की कस्टडी ली, तो उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी उनकी ही थी।
Created On :   12 Jun 2023 6:14 PM IST