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मंडे पॉजिटिव - किसानों को एक लाख आम के पेड़ देने के लिए जुटाई जा रहीं गुठलियां
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। राज्य के गरीब किसानों को एक लाख से ज्यादा आम के पेड़ देने के लिए एक स्वयंसेवी संस्था ने सोशल मीडिया के जरिए मुहिम छेड़ रखी है। लोगों से अपील की जा रही है कि जो लोग आम खाते हैं, वे उसकी गुठलियां साफ कर थैली में पैक कर संस्था के पास भेजें। इन गुठलियों को रोप कर उन्हें अंकुरित किया जा रहा है, जिससे अगले कुछ महीनों में आने वाले मॉनसून के दौरान इन्हें किसानों को दिया जा सके। मिशन ग्रीन के सुभजीत मुखर्जी ने दूसरे साथियों के साथ मिलकर यह मुहिम शुरु की है।
तीन साल से चला रहे हैं मुहिम
सुभजीत ने बताया कि पिछले दो सप्ताह में ही 10 हजार से ज्यादा गुठलियां मिल चुकीं हैं। इन्हें रोपने के लिए मिट्टी, खाद, पानी की व्यवस्था की जा चुकी है। गुठलियों की रोपाई और उनकी देखभाल के लिए 12 लोग लगातार 12-12 घंटे काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल से हम लगातार रह मुहिम चला रहे हैं। पहले साल किसानों को 8 हजार पेड़ दिए गए थे। पिछले साल यह आंकड़ा बढ़कर 25 हजार पहुंच गया था। लोगों का समर्थन देखकर उत्साह बढ़ा है और इस साल एक लाख से ज्यादा आम के पौधे किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है। इससे न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी यह बेहद कारगर होगा।
एक लाख पेड़ों के लिए चाहिए 10 लाख गुठलियां
सुभजीत ने बताया कि एक लाख आम के पेड़ लगाने के लिए कम से कम 10 लाख गुठलियां इकठ्ठी करनी पड़ेंगी ,क्योंकि कई बार आम अप्राकृतिक तरीके से केमिकल की मदद से पकाए जाते हैं। गुठलियां पूरी तरह विकसित नहीं होतीं और उनमें अंकुरण नहीं होता। पेड़ में पके आम की गुठलियां रोपने के लिए सबसे बेहतर होतीं हैं, लेकिन बाजार में मिलने वाले आम से इस बात का पता लगा पाना मुश्किल होता है कि वह पेड़ पर पके हैं या अप्राकृतिक तरीके से पकाए गए हैं। इसलिए गुठलियों का चुनाव बेहद अहम होता है। उन्होंने कहा कि गुठलियों को संभालकर रोपना पड़ता है और अंकुरित होने पर भी नौ महीने तक पूरी देखभाल करनी पड़ती है।
थाईलैंड के आम का निर्यात भारत से 4 गुना ज्यादा
सुभजीत ने कहा कि भारत इतना बड़ा देश है, फिर भी सिर्फ 200 मिलियन डॉलर के आम निर्यात करता है, जबकि काफी छोटा देश होने के बावजूद थाईलैंड हर साल 800 मिलियन डॉलर के आम का निर्यात करता है। इसे बदला जा सकता है।
खास होता है आम
आम खास होता है, क्योंकि भारत के 80 फीसदी हिस्से में यह पैदा होता है और इसकी 500 से ज्यादा किस्में हैं। आम का पेड़ हमेशा हरा-भरा होता है, इसलिए यह काफी ऑक्सीजन देता है। आम प्राकृतिक एयर कंडिशनर हैं, साथ ही आम के पेड़ में सभी तरह के पक्षी और जीवजंतु रहते हैं।
मुहिम को मिला बच्चों का साथ
गुठलियां इकठ्ठी कर आम का पेड़ लगाने की इस मुहिम को बच्चों का भी खूब साथ मिल रहा है। कोलकाता में रहने वाली छह साल की टिया हेतमसरिया को भी सोशल मीडिया के जरिए इस मुहिम की जानकारी मिली। इसके बाद उसने आम खाने के बाद गुठलियां जुटानी शुरु कर दीं। सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ने वाली टिया 100 से ज्यादा गुठलियां जुटा कर संस्था को भेज चुकीं हैं। कोलकाता की ही 8 साल की सर्विका लूनिया ने भी आम की गुठलियां भेजी हैं।
इस पते पर भेजे गुठलियां
मिशन ग्रीन मुंबई, घलोप हाउस नंबर 360, पालू रास्ता, भुईपाडा, तालुका मुरबाड, जिला ठाणे- 421402
Created On :   15 May 2023 5:46 PM IST