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1508 कुपोषित, खतरे की जद में 10 हजार से ज्यादा बच्चे!
ऐसे भी मासूम जिनका वजन सामान्य से काफी कम, पनागर, बरगी और सिहोरा में हालात ज्यादा खराब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । बेहतर शिशु पोषण के दावों के बीच बड़ी खबर निकलकर आई है कि जिले के 1508 बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि इनमें से अधिकांश का वजन सामान्य से बेहद नीचे तक चला गया है। दूसरी तरफ यह भी पता चला है कि 10 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण के खतरे के दायरे में हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति पनागर क्षेत्र की है। इन सब के बीच एक सवाल भी उठ रहा है कि बच्चों के नाम पर हर महीने खर्च होने वाली लाखों की रकम जा कहाँ रही है। हकीकत लेकिन यही बताती है कि कई बच्चे और गर्भवती महिलाएँ शारीरिक रूप से कमजोर हैं। 23 सौ केंद्रों में डेढ़ लाख बच्चे
वैसे जिले में 23 सौ से ज्यादा आँगनबाड़ी केन्द्र हैं जिनमें 1 लाख 47 हजार 962 से ज्यादा बच्चों की संख्या दर्ज है। एक बच्चे पर हर दिन 6 से 7 रुपये तक खर्च किया जाता है। बच्चों के लिये आँगनबाड़ी में दलिया, खिचड़ी और बाल आहार के पैकेट पहुँचाये जाते हैं, ताकि बच्चों को पर्याप्त पोषण आहार मिल सके। 3 साल से 6 साल तक के बच्चों के लिये भोजन की व्यवस्था भी की जाती है। समितियाँ भोजन बनाकर आँगनबाड़ी में पहुँचाती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिये भी भोजन और पोषण आहार दिया जाता है।
यहाँ स्थिति ज्यादा दयनीय
सबसे ज्यादा कम वजन और अति कम वजन के बच्चों की संख्या वाले परियोजना क्षेत्रों में पनागर और बरगी शामिल हैं। पनागर में अति कम वजन के 215 तथा बरगी में 93 बच्चे हैं। सिहोरा में अति कम वजन के बच्चों का आँकड़ा 118 तक पहुँच गया है।
इनका कहना है
बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार दिया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में अति कम और कम वजन के बच्चे हैं वहाँ परियोजना अधिकारियों को ध्यान देने कहा गया है, ताकि स्थिति में सुधार हो।
-एमएल मेहरा, डीपीओ महिला बाल विकास विभाग
Created On :   25 March 2021 3:41 PM IST