Jabapur News: 13 साल बीत गए सर्वे के, मगर दमोह रेल लाइन का काम आगे नहीं बढ़ा

13 साल बीत गए सर्वे के, मगर दमोह रेल लाइन का काम आगे नहीं बढ़ा
  • इस नई रेल लाइन के बनने से छत्तीसगढ़ का सफर हो सकता है आसान, लोगों को मिलेगी राहत
  • जबलपुर-बिलासपुर रेल लाइन चालू होने से सबसे ज्यादा लाभ आदिवासी क्षेत्रों को मिलेगा।
  • जबलपुर से दमोह और जबलपुर-मंडला-बिलासपुर रेल परियोजनाओं के लिए उच्चस्तरीय सर्वे कराया गया है।

Jabalpur News: रेल परियोजनाओं और नई रेल लाइन डालने के लिए केंद्रीय बजट में करोड़ों रुपए की राशि का प्रावधान किया जाता है मगर जबलपुर से दमोह और बिलासपुर रेल लाइन पर कभी कोई चर्चा तक नहीं कर रहा है। इस परियोजना का सर्वे कराए करीब 13 साल बीत गए लेकिन जब इसके बजट और प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा की बात आती है तो न ही कोई जनप्रतिनिधि और न ही अधिकारी इसे मंजूरी दिलाने प्रयासरत नजर आता है।

जानकारों की मानें तो जबलपुर से दमोह और जबलपुर-मंडला-बिलासपुर रेल परियोजनाओं के लिए उच्चस्तरीय सर्वे कराया गया है। अगर इन परियोजनाओं पर समय रहते कार्य होता तो दिल्ली, कोलकाता, पुरी, रायपुर सहित अन्य प्रमुख शहरों का रेल सफर काफी आसान हो जाता और लोगों को राहत मिल सकती थी।

246 किमी रेल मार्ग पर बनने हैं 12 स्टेशन

रेलवे द्वारा वर्ष 2011.12 में जबलपुर-दमोह-खजुराहो रेल लाइन का सर्वे किया गया था।

इसमें 246 किमी रेल मार्ग पर करीब 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं।

जबलपुर-मंडला-बिलासपुर रेल मार्ग की सर्वे रिपोर्ट भी काफी पहले रेलवे बोर्ड को भेजी जा चुकी है।

दूरी घटेगी, किराया भी कम होगा

अभी जबलपुर से दमोह के लिए कटनी रूट से सफर करना पड़ता है। जिससे करीब 201 किमी का सफर होता है। नए मार्ग से दमोह की दूरी घटकर सिर्फ 90 किमी ही रह जाएगी।

वर्तमान में कटनी शहडोल होकर बिलासपुर की दूरी 411 किमी है। नए रेल मार्ग का निर्माण होने से यह दूरी 3 सौ किमी ही रह जाएगी।

आदिवासी क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

जबलपुर-बिलासपुर रेल लाइन चालू होने से सबसे ज्यादा लाभ आदिवासी क्षेत्रों को मिलेगा। इस परियोजना से अब तक रेल नेटवर्क अछूता है। इसके अलावा मंडला के बिछिया सहित छत्तीसगढ़ के कवर्धा, मुंगेली, लोरमी कई जिलों में भी रेल लाइन का कार्य हो सकेगा।

Created On :   3 July 2025 6:31 PM IST

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