Jabalpur News: लकड़बग्घाें की दहशत के कारण लोगों ने शाम को टहलना किया बंद

लकड़बग्घाें की दहशत के कारण लोगों ने शाम को टहलना किया बंद
  • खमरिया क्वार्टर्स के आसपास झुंड में दिखते हैं लकड़बग्घे
  • फैक्ट्री एरिया होने की वजह से वन विभाग के कर्मचारी भी यहां कार्यवाही नहीं करते हैं।

Jabalpur News: खमरिया फैक्ट्री के आसपास इन दिनों लकड़बग्घों का आतंक है। शिकार की तलाश में जंगल से आवासीय क्षेत्रों में लकड़बग्घों के प्रवेश करने से लोग परेशान हैं। स्ट्रीट डॉग जैसे दिखने के कारण लोगों को भ्रम होता है, असलियत तब पता चलती है जब लकड़बग्घे किसी मवेशी या राहगीर पर अटैक करने की कोशिश करते हैं। क्षेत्रीय नागरिक शिब्बू कोल ने बताया कि चार-पांच के झुंड में इन्होंने कई बार लकड़बग्घों को देखा है।

ये झाड़ियों में छिपे रहते हैं और अचानक इनके सड़क पर आने के कारण हादसे होते हैं। समस्या विकट है लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है। फैक्ट्री एरिया होने की वजह से वन विभाग के कर्मचारी भी यहां कार्यवाही नहीं करते हैं। जानकारों का कहना है कि चार-पांच किलोमीटर के एरिए में 40 से 50 की संख्या लकड़बग्घे मौजूद हैं, जो कभी भी परेशानी का सबब बन सकते हैं, लिहाजा बचाव के उपाय करना जरूरी है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ शंकेंद्रुनाथ का कहना है कि फैक्ट्री प्रबंधन और वन विभाग मिलकर रेस्क्यू अभियान चलाए तो क्षेत्रवासियों को राहत मिल सकती है।

नहर में गिरा चीतल |बरगी रोड पर रानी दुर्गावती की समाधि के पास एक चीतल नहर में गिर गया, जिसे ग्रामीणजनों ने रस्सी से खींचकर बचाया। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद चीतल की जान बचाई जा सकी। लोगों ने बताया कि तेज बारिश के दौरान मिट्टी से फिसलकर चीतल नहर में गिर गया था, जिसे राहगीरों की संवेदनशीलता ने बचा लिया।

एमयू कुलगुरु के आवास पर निकली दुर्लभ गोह

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब लोगों ने एक ढाई फीट लंबी काली गोह को देखा। विवि के कुलगुरु अशोक खंडेलवाल के शासकीय निवास पर सुबह दस बजे एक ढाई फीट लंबी काली गोह कक्ष में प्रवेश कर गई जिससे वहां अफरातफरी मच गई। आवास पर कार्यरत कर्मचारी अजय कुड़े ने समझदारी दिखाते हुए धीरे से कक्ष का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे को सूचना दी, जिन्होंने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू करते हुए गोह को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया।

दुबे ने बताया कि पकड़ी गई गोह दुर्लभ प्रजाति की मादा गोह है। ये जहरीली नहीं होती है और बहुत ज्यादा परेशान करने पर ही आक्रामक होती है। ये छिपकली की प्रजाति की है इसका वैज्ञानिक नाम माॅनिटर लिजर्ड है। आमतौर पर इसे विष खोपरा भी कहते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से विषहीन होती है। प्राणी विशेषज्ञ के मुताबिक ये गोह गुहेरा से बड़ी होती है। लोगों के बीच आम धारणा है कि ये जहरीली होती है परंतु यह किवदंती मात्र है, वास्तव में गोह या गुहेरा जहरीले नहीं होते हैं।

विलुप्त श्रेणी में आने के कारण इन्हें वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा-1972 के अंतर्गत विशेष सुरक्षा प्रदान की गई है। इसे अनधिकृत रूप से पकड़ना, इसका वध करना दंडनीय अपराध है। उमस से परेशान होकर ये दुर्लभ काली गोह कुलगुरु के आवास पर खाली पड़े कक्ष में प्रवेश कर गई थी।

Created On :   19 Aug 2025 5:35 PM IST

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