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बालिग बेटी अपनी मर्जी से विवाह करने के लिए स्वतंत्र
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने कहा है कि बालिग युवती अपनी मर्जी से विवाह करने के लिए स्वतंत्र है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने अधारताल एसडीएम के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें माता-पिता के साथ जाने से इनकार करने पर बालिग युवती को नारी निकेतन भेज दिया गया था। डिवीजन बैंच ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए एसडीएम अधारताल को आदेशित किया है कि युवती को नारी निकेतन से रिहा किया जाए। नब्बे क्वार्टर त्रिमूर्ति नगर जबलपुर निवासी अमन गुहेरिया की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया कि वह दमोहनाका निवासी निवेदिता (दीपाली) से विवाह करना चाहता है। उन्होंने 5 मार्च 2021 को कोर्ट मैरिज के लिए मैरिज रजिस्ट्रार को आवेदन दिया था। जब दीपाली के परिजनों को जानकारी मिली तो उन्होंने विवाह का विरोध करना शुरू कर दिया। मामला पुलिस तक पहुँचा। पुलिस ने दीपाली को एसडीएम के समक्ष पेश किया। दीपाली ने परिजनों के साथ जाने से इनकार करते हुए कहा कि वह अमन के साथ रहना चाहती है। इसके बावजूद एसडीएम अधारताल ने 17 मार्च 2021 को दीपाली को नारी निकेतन भेज दिया। अधिवक्ता मकबूल खान ने तर्क दिया कि दीपाली बालिग है। वह अपनी मर्जी से विवाह करने के लिए स्वतंत्र है। बालिग युवती को उसकी मर्जी के विरुद्ध बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता है। डिवीजन बैंच ने एसडीएम के आदेश को निरस्त करते हुए कहा है कि बालिग युवती अपनी मर्जी से विवाह करने के लिए स्वतंत्र है।
Created On :   1 May 2021 4:27 PM IST