एंग्लो इंडियन विधवा की फर्जी तरीके से हड़पी बेशकीमती 7 एकड़ जमीन

Anglo Indian widows valuable 7 acres of land was seized in a fraudulent way
एंग्लो इंडियन विधवा की फर्जी तरीके से हड़पी बेशकीमती 7 एकड़ जमीन
जिला अदालत में अब गवाही शुरू एंग्लो इंडियन विधवा की फर्जी तरीके से हड़पी बेशकीमती 7 एकड़ जमीन



डिजिटल डेस्क जबलपुर। तिलहरी निवासी 90 वर्षीय एंग्लो इंडियन विधवा की 7 एकड़ बेशकीमती जमीन फर्जी पावर ऑफ अटार्नी के जरिए आनंद विजन सहित 9 लोगों द्वारा हड़पने के मामले में जिला अदालत में व्यवहार वाद दायर किया गया है। यह वही जमीन है, जिस पर आज आलीशान होटल विजन महल बन चुका है। चौंकाने वाली बात यह है कि जमीन चार लोगों के नाम पर थी, जिसमें से तीन एनआरआई महिलाएँ विदेश में रहती हैं। पहले फर्जीवाड़ा कर जमीन शिकायकर्ता के नाम पर कराई गई, फिर फर्जी तरीके से उससे पावर ऑफ अटार्नी लेकर जमीन बेच दी गई। अदालत में अब गवाही शुरू हो चुकी है।
यह है मामला-
एंग्लो इंडियन विधवा ईवान थार्नवर की ओर से दायर मामले में कहा गया है कि मौजा तिलहरी नंबर 231 पटवारी हल्का नंबर 28 नया 16 के खसरा नंबर 107 और 114 की कुल 7 एकड़ जमीन उसके ससुर जेम्स एरिक थार्नवर और सास ओ. थार्नवर के नाम पर थी। जमीन के एक भाग में कॉटेज का निर्माण किया गया था। उनके ससुर की मृत्यु के बाद उनकी सास ओ थार्नवर ने 24 जनवरी 1988 को एक वसीयतनामा किया जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति पुत्र आरआई थार्नवर, पुत्री बी. मेकस्वीने, डेरिस मर्री और रानी फोस्ट को बराबर-बराबर दे दी। वसीयत में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि संपत्ति को लीज, बंधक या विक्रय करने का निर्णय चारों की सहमति से लिया जाएगा। विवाह के बाद तीनों पुत्रियाँ विदेश चली गईं, जो की एनआरआई हैं। वसीयत करने वाली ओ. थार्नवर की मृत्यु 10 मई 1990 को हो गई। इसके बाद संपत्ति का मालिक उनका पुत्र आरआई थार्नवर और उनकी तीनों एनआरआई पुत्रियाँ हो गईं। आरआई थार्नवर की मृत्यु अक्टूबर 1994 में हो गई। पति की मृत्यु के बाद पति का हिस्सा उनकी पत्नी और अदालत में प्रकरण दायर करने वाली ईवान थार्नवर को मिला।
ऐसे रची गई जमीन हड़पने की साजिश-
व्यवहार वाद में कहा गया है कि पति की मृत्यु होने के बाद विधवा महिला अकेली रह गई। इसका फायदा उठाते हुए उनके पड़ोस में रहने वाले रंजीत मेहरा ने ईवान थार्नवर से कहा कि उसके पास बेशकीमती जमीन है, यदि जमीन को बेच दिया जाए तो काफी रकम मिल सकती है। इस पर ईवान थार्नवर ने कहा कि इस जमीन को बेचा नहीं जा सकता है। यह जमीन चार लोगों के नाम पर है। जिसमें से तीन महिलाएँ विदेश में रहती हैं। रंजीत ने कहा कि वह पूरी जमीन उनके नाम पर करवा देगा। व्यवहार वाद में कहा गया है कि साजिश के तहत उसने विधवा महिला को अधिवक्ता राजकुमार पांडे से मिलवाया। अधिवक्ता ने पहले फर्जी तरीके से पूरी जमीन विधवा महिला के नाम कराई। विधवा महिला हिन्दी नहीं जानती थी। इसका फायदा उठाते हुए अधिवक्ता ने उससे हिन्दी में टाइप किए गए स्टाम्प पर हस्ताक्षर कराए। उसके बाद अधिवक्ता ने अपने व्यक्ति शोभित सिंह को ईवान थार्नवर के नाम की फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी दिलवा दी। फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी के आधार पर शोभित सिंह और अन्य ने मिलकर वर्ष 1995 से लेकर 1998 के बीच जमीन की रजिस्ट्री आनंद विजन, मुकेश दुबे, दीपा गौतम, राजेन्द्र मिश्रा, परेश शाह और धनुष यादव के नाम करा दी। जमीन बेचने से मिली रकम विधवा महिला को नहीं दी गई। अदालत में गवाही के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं।

Created On :   16 Aug 2021 10:47 PM IST

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