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महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल: मानसिक मंदित महिला अस्पताल में ही हुई प्रेग्नेंट, बच्चे को दिया जन्म

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। समाज के दरिंदों का दिया जख्म एक मानसिक मंदित महिला फिर उठाने को मजबूर है। वह दोबारा मां बनी है। करीब दो साल हुए महिला ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म दिया था, जिसकी कुछ महीने बाद मौत हो गई। यह महिला अस्पताल परिसर में ही रहती थी, जहां किसी दरिंदे ने उसे हवस का शिकार बना लिया। वह एक फिर दंश झेलने को मजबूर है। यह महिला सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल भी है कि अस्पताल परिसर में भी महिला की आबरू सुरक्षित नहीं है। हैरानी की बात यह है कि जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा महिला को कॉपर-टी भी लगाई गई थी। घटना के बाद पूरे महकमे में हड़कंप की स्थिति निर्मित है।
यह है पूरा मामला-
जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में मानसिक रुप से अस्वस्थ महिला ने मंगलवार रात नवजात को जन्म दिया। दो साल में महिला की यह दूसरी डिलीवरी है। इसके पहले जन्मी एक नवजात की मौत हो चुकी है। महिला पिछले दो साल से ही अस्पताल परिसर में ही रह रही है। पहली डिलीवरी के बाद से महिला को सुरक्षित ठिकाना दिलाने अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रशासन और पुलिस से पत्राचार किया जा चुका है। प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। इस अनदेखी के चलते महिला दूसरी बार गर्भवती हुई और मंगलवार रात एक बच्चे को जन्म दिया।
2017 मेें हुई थी पहली डिलीवरी-
-मानसिक अस्वस्थ महिला को सौंसर क्षेत्र से 29 अक्टूबर 2017 की रात जिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया था। उसी रात महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया था। इसके बाद से महिला ने गायनिक वार्ड में ही डेरा डाल लिया था।
2018 में नवजात की मौत-
मानसिक परेशान इस महिला की बच्ची स्वस्थ थी। उसे सुरक्षित स्थान पर भेजने जिला अस्पताल प्रबंधन ने महिला बाल विकास से कई बार संपर्क किया, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजतन छह माह बाद 10 मार्च 2018 को नवजात ने अचानक दम तोड़ दिया था।
दो साल से वॉर्ड के एक पलंग पर कब्जा-
29 अक्टूबर 2017 को जिला अस्पताल के गायनिक वॉर्ड में भर्ती कराई गई मानसिक रुप से परेशान इस महिला ने वॉर्ड के एक पलंग पर ही कब्जा कर लिया। महिला को कई बार वार्ड से बाहर किया गया, लेकिन वह अस्पताल में ही रहती थी। इस बीच वह दोबारा गर्भवती हो गई और मंगलवार रात उसने नवजात को जन्म दिया।
कॉपर टी के बावजूद हुई प्रेग्नेंट-
जिला अस्पताल प्रबंधन ने पहली डिलीवरी के बाद एहतियात बरतते हुए महिला को कॉपर टी भी लगाई थी। इसके बाद भी वह दोबारा गर्भवती हो गई। कॉपर टी के बाद भी गर्भवती होना अस्पताल कर्मियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
बच्चे की कैसे करें सुरक्षा-
जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में भर्ती महिला और उसके नवजात की सुरक्षा प्रबंधन के हाथों में है। स्टाफ का कहना है कि मानसिक रुप से परेशान होने की वजह से महिला वार्ड से कहीं भी चली जाती है। इस दौरान बच्चा अकेला पड़ा रहता है। बच्चे का ध्यान रखने एक कर्मचारी तैनात करना होगा। वार्ड में स्टाफ न होने से बच्चे की सुरक्षा खतरे में है।
ऐसी कई महिलाएं व युवती-
जिला अस्पताल के मानसिक वार्ड में सौंसर की एक महिला और एक 18 वर्षीय युवती भर्ती है। इनके संबंध में अस्पताल प्रबंधन द्वारा महिला बाल विकास विभाग से कई बार पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन विभाग ने उनकी भी सुध नहीं ली है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
मानसिक रुप से अस्वस्थ महिला के संबंध में महिला बाल विकास विभाग और पुलिस प्रशासन से वर्ष 2017 से अभी तक कई बार पत्राचार किए गए है। लेकिन कोई सुनवाई न होने से मानसिक परेशान महिला गायनिक वार्ड में ही रह रही है। महिला ने मंगलवार रात दोबारा एक नवजात को जन्मा है।
- सुशील दुबे, आरएमओ, जिला अस्पताल
मानसिक रुप से परेशान महिला को मानसिक अस्पताल तक भेजने की जवाबदारी अस्पताल प्रबंधन की है। पुलिस की मदद से वह रोगी को अस्पताल में शिफ्ट करा सकते है। अस्पताल प्रबंधन से सूचना मिलने पर हमारे द्वारा उन्हें नियम से अवगत करा दिया गया है।
- मोनिका बिसेन, महिला सशक्तिकरण अधिकारी
Created On :   25 Sept 2019 11:04 PM IST