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जबलपुर में बनेंगे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन - उमरिया,डुंगरिया स्थित कंपनी को मिला लाइसेंस, इंजेक्शन व पाउडर दोनों का उत्पादन होगा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों और इलाज के लिए जरूरी एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मारामारी के बीच राहत की खबर है। जबलपुर की रेवा क्योर लाइफ साइंसेज दवा कंपनी अब इसके इंजेक्शन बनाएगी। कंपनी को सरकार की तरफ से उत्पादन संबंधी लाइसेंस मिल गया है। प्रदेश में इंदौर की मॉडर्न लैबोरेटरी के बाद प्रदेश की यह दूसरी कंपनी है, जिसे इसकी अनुमति मिली है। जून तक के आखिर तक कंपनी इंजेक्शन बनाने की तैयारी में है। कंपनी द्वारा रॉ-मटेरियल के लिए ऑर्डर दिया जा चुका है, उम्मीद है कि 15 जून तक रॉ-मटेरियल मिल जाएगा, जिसके बाद इंजेक्शन का उत्पादन शुरू हो सकेगा।
प्रदेश सरकार से मिला लाइसेंस
उमरिया-डुंगरिया स्थित रेवा क्योर लाइफ साइंसेज कंपनी के एमडी रवि सक्सेना के मुताबिक ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले और इसके इंजेक्शन की देश में भारी कमी को देखते हुए उन्होंने इमरजेंसी में इसके उत्पादन का निर्णय लिया। उनकी कंपनी एंटी कैंसर इंजेक्शन बनाती है। प्रदेश सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद वह रॉ-मटेरियल की व्यवस्था में जुटे हैं। कम से कम एमआरपी पर इंजेक्शन तैयार होंगे। सांसद राकेश सिंह की तरफ से भी इसमें मदद की जा रही है।
एक बैच में 5 से 10 हजार वॉयल
रवि कहते हैं कि कंपनी डब्ल्यूएचओ एंड यूरोपियन एफडीए एजेंसी से अप्रूव्ड है। जबलपुर में मरीजों को प्राथमिकता से यह इंजेक्शन मिलें, हम यही चाहते हैं। फिलहाल इंजेक्शन की सप्लाई पर सरकार का नियंत्रण है। कंपनी द्वारा एक बड़ी कंपनी से बात चल रही है। टाइअप करके इसका उत्पादन होगा। कंपनी इंजेक्शन के अलावा नॉर्मल पाउडर के रूप में भी इसे लाने की कोशिश में है। एक बैच में लाइपोजोमल इंजेक्शन के 5 से 10 हजार वॉयल तैयार होंगे। रॉ-मटेरियल उपलब्ध रहा तो महीने भर में 15 से 20 बैच बन सकते हैं।
जबलपुर में 200 से ज्यादा मरीज
प्रदेश सरकार ने कोविड के बाद इसे भी महामारी घोषित किया है। जबलपुर में 200 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं। महाकौशल और विंध्य के 18 जिलों से मरीज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने आ रहे हैं। 28 मरीज इलाज के बाद ठीक होकर घर जा चुके हैं। इस बीमारी के इलाज में सबसे बड़ी बाधा इसके इंजेक्शन की कमी को बताया जा रहा है।
ब्लैक फंगस के लिए इंजेक्शन जरूरी
फंगस से पीडि़त मरीजों के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन 70 से 80 एमएल रोज लगाने पड़ते हैं। एक मरीज को 40 से 60 इंजेक्शन की जरूरत पड़ सकती है। एक वॉयल 50 एमएल का होता है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीजों के इलाज में इस इंजेक्शन का कोई विकल्प नहीं है।
Created On :   3 Jun 2021 2:38 PM IST