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बमों के खोल बनाने वाली फैक्टरी गनों को करेगी अपग्रेड
डिजिटल डेस्क जबलपुर। भारी भरकम बमों का कार्टेज केस (खोल) बनाने वाली ग्रे आयरन फाउण्ड्री गनों के अपग्रेडेशन में भी उतर गई है। सारंग तोप को अपग्रेड करने के मामले में निर्माणी ने दो गनों को ज्यादा विध्वंसक बनाते हुए अपनी महारत साबित भी कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि इससे जीआईएफ को आने वाले दिनों में काम की कमी नहीं होगी।
परंपरा से हटकर कार्य करने के लिए जीआईएफ ने काफी पहले इसकी तैयारियाँ की। तकरीबन एक सैकड़ा कर्मचारियों को वीकल फैक्ट्री भेजा गया। 6 महीने में पूरी तरह से ट्रेंड होकर आए कर्मियों ने गन को अपग्रेड करने का कारनामा कर दिखाया।
एडीजी पहुँचे, 250 केजी बम का ब्यौरा भी लिया-
आयुध निर्माणी बोर्ड के अपर महानिदेशक, सदस्य एके अग्रवाल ने जीआईएफ पहुँचकर अपग्रेडेशन का शुभारंभ किया। उन्होंने निर्माणी के महत्वपूर्ण प्रोडक्ट 250 केजी बम की क्वालिटी को लेकर किए जा रहे प्रयासों का भी ब्यौरा लिया और फाउण्ड्री टीम की सराहना की। जीएम अजय सिंह ने फलदार पौधा भेंट कर उनका स्वागत किया।
सेना को फास्ट डिलेवरी-
ऐसा माना जा रहा है कि जीआईएफ और वीएफजे दोनों निर्माणियाँ मिलकर सारंग गन का अपग्रेडेशन करेंगी जिससे काम में तेजी आएगी और सेना को फास्ट डिलेवरी की जा सकेगी। दूसरी तरफ दोनों निर्माणियों का कार्यभार भी बढ़ेगा।
खास-खास-
- इजरायली तकनीक पर बेस्ड 130 एमएम गन को नए जमाने की टेक्नोलॉजी से लैस किया जा रहा है। इसके लिए इन गनों के बैरल में बड़ा बदलाव किया गया है।
-सैन्य सुधार के तहत सभी गनों और टैंकों के बैरल को 155 एमएम में अपग्रेड किया जाएगा। इस तरह के अपग्रेडेशन से फायदा यह है कि दूसरी गनों में उपयोग में लाए जाने वाले एक ही तरह के गोले सारंग से भी फायर किए जा सकेंगे।
-शुरुआती दौर में आयुध निर्माणी कानपुर में तैयार होने वाली सारंग को उन्नत करने की जिम्मेदारी गन कैरिज फैक्ट्री तथा वाहन निर्माणी जबलपुर को सौंपी गई। इस कार्य में और तेजी लाने के लिए अब जीआईएफ की भी मदद ली जा रही है।
-प्रारंभिक टागरेट के रूप में जीसीएफ को 18 जबकि व्हीएफजे को 12 गनें हाइटेक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वक्त के साथ इस टारगेट को अब कई गुना बढ़ा दिया गया है।
Created On :   6 July 2021 10:52 PM IST