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हड्डी का पुराना दर्द बताकर केयर हेल्थ इंश्योरेंस ने किया नो क्लेम
पॉलिसी धारक ने कहा- बीमा कंपनी सारे दस्तावेजों को झूठा बताने में तुली, जिम्मेदार हमारी सुनने तैयार नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सावधान हो जाएँ..? यह मत समझें कि बीमा कराने के बाद आपको किसी तरह का सहारा इंश्योरेंस कंपनियों से मिलेगा। बीमा कंपनियाँ सिर्फ व्यवसाय करने में लगी हैं और जिम्मेदार मौन हैं। जिसका परिणाम यह है कि पॉलिसी धारकों को अस्पताल में बीमा कंपनियाँ कैशलेस करने से इनकार कर रही हैं और कई मेल करने के बाद भी बीमित को बीमा कंपनियाँ सहायता देने में अपने हाथ खड़े करते आ रही हैं। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद जब पॉलिसी धारक सारे बिल बीमा कंपनियों में सबमिट करते हैं तो उनके बिलों की कई तरह से क्वेरी कराई जाती है। बीमा कंपनी के लोग चैक करने घर व अस्पताल जाते हैं और उसके बाद पुरानी बीमारी का हवाला देकर पॉलिसी धारक को नो क्लेम का लैटर भेज दिया जाता है। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ सीधे तौर पर हमारे बिलों को दरकिनार करते हुए मनमानी करने में लगी हैं और जिम्मेदार किसी तरह की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। पॉलिसी धारकों का कहना है कि बीमा कंपनियों के जिम्मेदार लोगों पर जालसाजी का मामला दर्ज होना चाहिए पर स्थानीय अधिकारी भी मौन हैं।
दो साल से इलाज का क्लेम पाने भटक रहा पॉलिसी धारक
रांझी निवासी सत्यवीर सिंह नारंग ने शिकायत में बताया कि उन्होंने केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। लगातार पॉलिसी की प्रीमियम भी जमा करते आ रहे थे। अचानक उनकी रीढ़ की हड्डी में दर्द होने के कारण मार्बल सिटी अस्पताल में 18 अप्रैल 2019 को वे भर्ती हुए थे। यहाँ आराम नहीं लगने पर गंगाराम अस्पताल न्यू दिल्ली इलाज के लिए जाना पड़ा। वहाँ पर 13 दिनों तक चले इलाज के बाद आराम लग गया। इन दोनों अस्पतालों में बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। सारा भुगतान उन्हें जेब से देना पड़ा। बीमा कंपनी में उपचार के बाद सारे बिल लगाए तो बीमा कंपनी ने अनेक क्वेरी निकाली और उसके बाद पुरानी बीमारी का हवाला देकर 12 लाख के भुगतान को नो क्लेम कर दिया। सारे दस्तावेज देने के बाद भी बीमा कंपनी किसी तरह की सहायता देने तैयार नहीं है।
पुरानी हिस्ट्री नहीं है फिर भी रिपोर्ट माँग रही बीमा कंपनी
शिव नगर दमोहनाका निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि आपोलो यूनिक हेल्थ इंश्योरेंस से बीमा पॉलिसी ली थी। सालों से बीमा पॉलिसी का संचालन करते आ रहे हैं। 27 सितम्बर 2018 को अचानक बीमार होने के कारण उन्हें उपचार के लिए उखरी रोड स्थित नव ईएनटी कैंसर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा। यहाँ पर दो सप्ताह तक इलाज चला। इलाज के दौरान बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। बीमा कंपनी ने कहा कि हम बिल देने पर पूरा भुगतान कर देंगे। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद सारे बिलों को ऑनलाइन प्रदीप ने सबमिट किया था। सबमिट करने के बाद अनेक क्वेरी बीमा कंपनी ने निकालीं और पुरानी हिस्ट्री की रिपोर्ट माँगने लगे। पॉलिसी धारक ने पुरानी हिस्ट्री नहीं होने का उल्लेख किया पर बीमा कंपनी मानने तैयार नहीं हुई और 1 लाख से अधिक का क्लेम रिजेक्ट कर दिया।
Created On :   7 July 2021 4:36 PM IST