जनपद सोहावल के शिक्षाकर्मी घोटाले में सीईओ को 5 साल की कैद

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सतना जनपद सोहावल के शिक्षाकर्मी घोटाले में सीईओ को 5 साल की कैद

डिजिटल डेस्क,सतना। वर्ष 1998 में की गई शिक्षाकर्मियों की भर्ती में जनपद सोहावल में हुए घोटाले के मामले में करप्शन एक्ट की विशेष कोर्ट ने तत्कालीन सीईओ को 5 साल के कारावास की सजा से दंडित किया है। स्पेशल जज अनुराग द्विवेदी की कोर्ट ने आईपीसी के सेक्शन 120बी, 467, 468 और 471 के आरोप साबित पाए जाने पर तत्कालीन सीईओ सोहावल अनिल कुमार तिवारी पिता एपी तिवारी निवासी खरहरी रीवा, वर्तमान सीईओ सिहावल-सीधी, पर 27 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। सजा सुनाए जाने के बाद अदालत ने सजा भुगताए जाने के लिए आरोपी को केन्द्रीय कारागार भेज दिया है। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजन अधिकारी फखरुद्दीन ने लोकायुक्त का पक्ष रखा।

209 पदों पर की गई थी भर्ती 

स्कूल शिक्षा विभाग मप्र के 24 जनवरी 1998 के आदेश के पालन में मप्र के अलग-अलग जिलों में शिक्षाकर्मियों की भर्तियां वर्ष 1998 में प्रारंभ की गई थीं। शिक्षा विभाग के आदेश के पालन में जनपद सोहावल में 25 मई 1998 को नियुक्तियों के संबंध में कार्यवाई की गई और 209 पदों पर शिक्षाकर्मियों की भर्ती की गई थी। भर्तियों में किए गए घोटाले की शिकायत मप्र के लोकायुक्त को मिली, जिस पर उन्होंने जांच कार्यवाई का निर्देश जारी किया। जांच के दौरान व्यापक रूप से अनियमितता और भ्रष्टाचार पाए जाने पर जिले में वर्ग-1, 2 और 3 के पदों में शिक्षाकर्मियों की भर्तियों पर जिला और जनपदों के अलग-अलग मामले दर्ज किए गए। जनपद पंचायत सोहावल में हुए भ्रष्टाचार में सीईओ समेत विकासखंड अधिकारी सूर्यबली त्रिपाठी, जनपद उपाध्यक्ष रामेश्वर सिंह, रामसूरत बागरी, जनपद सदस्य स्वामीदीन चौधरी, जितेन्द्र सिंह, रामबालक सेन, शीला प्रजापति, जयदीप सिंह, राजेश प्रताप सिंह और बृजेश प्रताप सिंह के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया था। अपराध की जांच के दौरान रामसूरत बागरी की मौत हो गई।

नियम विरिूद्ध दी नियुक्तियां 

पीआरओ अभियोजन हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि आरोपियों पर आरोप है कि 209 पदों की रिक्तियों के विज्ञापन प्रकाशन के बाद उप संचालक शिक्षा द्वारा 14 पद पुन: जोड़ दिए गए। इन जोड़ो गए पदों के संबंध में न तो विज्ञापन ही प्रकाशित किया गया और न ही आरक्षण नियमों का पालन ही किया गया। इसके अलावा यह भी आरोप है कि एक पद के लिए तीन अभ्यर्थियों को बुलाए जाने का नियम था, लेकिन इस नियम को भी दरकिनार करते हुए अपने परिचितों और परिजनों को नियुक्तियां मनमाने ढंग से दी जाकर सेवा नियमों का भी उल्लंघन किया गया था। प्रकरण की जांच के दौरान प्रथम दृष्टया आरोप पाए जाने पर 28 नवंबर 2006 को आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र अदालत में पेश किया गया था। विचारण के दौरान सूर्यबली त्रिपाठी, रामेश्वर सिंह और राजेश प्रताप सिंह की मृत्यु हो गई।

7 फैसले 7 सजा 

वर्ष 2022 में लोकायुक्त के 7 मामलों में कोर्ट ने निर्णय सुनाया है। जिसमें से सातों मामलों में अदालत ने लोकायुक्त का मामला प्रमाणित पाए जाने पर आरोपियों को जेल और जुर्मान की सजा से दंडित किया है। विशेष अभियोजक फखरुद्दीन ने बताया कि भ्रष्टाचार के 7 मामलो में सर्वाधिक चर्चित मामला अमरपाटन शिक्षक भर्ती घोटाले का रहा, जिसमें अदालत ने आरोपियों को दंडित किया है। इसके अलावा वर्ष 2022 का पहला मामला रामपुर तहसील में पदस्थ रीडर रामशरण प्रजापति का रहा, जिसमें अदालत ने आरोपी को रिश्वत मांगने के आरोप साबित पाए जाने पर जेल और जुर्माने की सजा से दंडित किया है।

इन्हें संदेह का लाभ 

प्रकरण के आरोपी तत्कालीन जनपद सदस्य स्वामीदीन चौधरी, जितेन्द्र सिंह, रामबालक सेन, शीला प्रजापति, जयदीप सिंह, और बृजेश प्रताप सिंह को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए प्रकरण से दोषमुक्त कर दिया है। इनके विरूद्ध लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का प्रकरण पेश किया था।

इनका कहना है 

वर्ष 2022 में लोकायुक्त के प्रस्तुत 7 मामलों में दोषसिद्धी हुई है। जिसमें अदालत ने लोकायुक्त के मामलों को प्रमाणित पाए जाने पर आरोपियों को जेल और जुर्माने की सजा से दंडित किया है।  
फखरुद्दीन, विशेष लोक अभियोजक
 

Created On :   28 Dec 2022 1:20 PM IST

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