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लोक अभियोजकों के पदों पर लोक नियुक्ति को चुनौती - शासकीय अधिवक्ता को दिशा-निर्देश प्राप्त कर पक्ष रखने के आदेश
डिजिटल डेस्क जबलपुर। प्रदेश में लोक अभियोजकों तथा अपर लोक अभियोजकों के पदों पर लोक अभियोजन अधिकारियों की स्थायी-अस्थायी नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जस्टिस व्हीके शुक्ला की एकलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई कर शासकीय अधिवक्ता को शासन से स्ट्रंक्शन प्राप्त करते हुए पक्ष रखने के निर्देश दिये है। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
अधिवक्ता आनंद शुक्ला की ओर से दायर किये गए मामले में कहा गया है कि प्रमुंख सचिव का यह आदेश विधि विरुद्ध है, क्योकि दंड प्रकिया संहिता की धारा 24 (7) के अंतर्गत लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों के पदों पर सात वर्ष से अधिक अनुभव वाले अधिवक्ता की ही नियुक्ति की जा सकती है। इसके अलावा दंड प्रकिया संहिता की धारा 25 के तहत लोक अभियोजन अधिकारियों और सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों की नियुक्तियां मजिस्ट्रियल कोर्ट में अभियोजन के लिए की जा सकती है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी ने पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि लोक अभियोजन अधिकारियों, अपर अधिकारियों की नियुक्ति तथा पदोन्नति आदि की सेवा शर्ते मप्र पब्लिक प्रासिक्यूशन (गजटेड) सर्विस रिक्रूटमेन्ट रूल्स 1991 के अधीन होती है। वे शासन से वेतन भत्ते ग्रहण करते है, उन्हें बार कौंसिल से अपनी सनद निलंबित कराना होती है। दूसरी तरफ अधिवक्ता लोक अभियोजक के रूप में केवल रिटेनर फीस हासिल करते है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने दिशा-निर्देश देते हुए सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित कर दी। मामले में सहयोगी अधिवक्ता के रूप में आशीष, असीम त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, सुधाकरण मणि पटेल, आशीष कुमार तिवारी तथा अरविंद सिंह चौहान पैरवी कर रहे है।
Created On :   30 Nov 2019 1:25 PM IST