कलेक्टर और कमिश्नर ने नियम के खिलाफ जाकर ग्राम रोजगार सहायक को पद से हटाया

Collector and Commissioner went against the rule and removed the Village Employment Assistant from the post
कलेक्टर और कमिश्नर ने नियम के खिलाफ जाकर ग्राम रोजगार सहायक को पद से हटाया
कलेक्टर और कमिश्नर ने नियम के खिलाफ जाकर ग्राम रोजगार सहायक को पद से हटाया

डिजिटल डेस्क  जबलपुर । दो गांवों की वोटर लिस्ट में नाम होने को आधार बनाकर ग्राम रोजगार सहायक के पद पर हुआ चयन निरस्त करने वाले कलेक्टर और संभागायुक्त के आदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिए हैं। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने चयनित उम्मीदवार की याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि दोनों ही अधिकारियों ने नियम के खिलाफ जाकर याचिकाकर्ता के खिलाफ आदेश पारित किया है।  अदालत ने यह फैसला सीहोर जिले की बुधनी तहसील की ग्राम पंचायत पीलीकरार निवासी धर्मेन्द्र कुमार दुबे की याचिका पर दिया। आवेदक का कहना था कि उसके नाम पीलीकिरार और होशंगाबाद जिले के ग्राम पालनपुर की वोटर लिस्ट में थे। उसने ग्राम रोजगार सहायक के पद पर नियुक्ति पाने दोनों गांवों से आवेदन भरे थे और ग्राम पीलीकिरार में चयन होने के बाद उसने ग्राम पालनपुर की वोटर लिस्ट से नाम हटाने सक्षम अधिकारी को आवेदन दिया। याचिकाकर्ता की नियुक्ति को अशोक कुमार बनवारी ने चुनौती दी। पहले मामला कलेक्टर के पास गया तो उन्होंने 8 मार्च 2013 को प्रकरण जनपद पंचायत बुधनी के सीईओ को निराकृत करने के निर्देश दिए, क्योंकि वे ही आपत्ति का निराकरण करने में सक्षम हैं। वर्ष 2017 में अशोक कुमार ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और 17 फरवरी 2017 को मामले का निराकरण करके हाईकोर्ट ने नियुक्ति का विवाद निपटाने के निर्देश कलेक्टर को दिए। 16 जून 2017 को कलेक्टर ने याचिकाकर्ता धर्मेन्द्र कुमार के नाम दो वोटर लिस्ट में होने के आधार पर उसको ग्राम रोजगार सहायक के पद से हटाने के आदेश दिए। इस आदेश को संभागायुक्त के समक्ष चुनौती दी गई, लेकिन उन्होंने भी 10 सितंबर 2018 को कलेक्टर के आदेश को यथावत रखा। इन्हीं दो फैसलों के खिलाफ यह याचिका वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
मुवक्किल का नियुक्ति विधि सम्मत थी
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुबोध कठर ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने अपना नाम होशंगाबाद के ग्राम पालनपुर से हटाने का आवेदन ग्राम पीलीकरार में चयन होने के तत्काल बाद दे दिया था। इतना ही नहीं, अशोक कुमार ने कलेक्टर द्वारा 8 मार्च 2013 को जारी आदेश को कोई चुनौती ही नहीं दी थी। ऐसे में उनके मुवक्किल का नियुक्ति विधि सम्मत थी और उसे नियुक्ति से वंचित किया जाना अवैधानिक है। पूरे मामले पर गौर करने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कलेक्टर और संभागायुक्त द्वारा जारी आदेशों को नियमों के खिलाफ पाकर खारिज कर दिया।
 

Created On :   12 Oct 2019 8:22 AM GMT

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