इकलौते पुत्र की मौत पर 64 लाख रुपए का मुआवजा, फिर साथ रहने के लिए राजी हुए 21 जोड़े

Compensation of Rs 64 lakh on the death of only son, then 21 couples agreed to live together
इकलौते पुत्र की मौत पर 64 लाख रुपए का मुआवजा, फिर साथ रहने के लिए राजी हुए 21 जोड़े
इकलौते पुत्र की मौत पर 64 लाख रुपए का मुआवजा, फिर साथ रहने के लिए राजी हुए 21 जोड़े



डिजिटल डेस्क जबलपुर। प्रदेश में शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इकलौते पुत्र की मौत पर पिता को 64 लाख रुपए का अवार्ड पारित किया, वहीं जबलपुर की जिला अदालत में अलग-अलग रह रहे 21 जोड़े फिर से पति-पत्नी के रूप में रहने के लिए राजी हो गए। इसके अलावा चैक बाउंस, विद्युत अधिनियम और अन्य प्रकरणों का भी राजीनामा के जरिए निराकरण किया गया। प्रदेश की लोक अदालत में 79 हजार 622 प्रकरण का िनराकरण किया गया, जिनमें 3 अरब 27 करोड़ 9 लाख 93 हजार रुपए के अवार्ड पारित किए गए।
हाईकोर्ट ने समझा पुत्र को खोने का दर्द-
हाईकोर्ट की लोक अदालत में जस्टिस अरुण कुमार शर्मा और अधिवक्ता अंशुमन सिंह की खंडपीठ ने इकलौते पुत्र को खोने का दर्द समझते हुए पिता को 64 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का अवार्ड पारित किया। निचली अदालत ने इस मामले में 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। सतना निवासी गणेश निगम के इकलौते पुत्र निखिल निगम की 7 जनवरी 2012 को पूना में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कपिल पटवर्धन और बीमा कंपनी की ओर से अधिकारी मंगेश गांधी, पवन चतुरवेला, राधिका पुरोहित और अधिवक्ता आदित्य शर्मा उपस्थित हुए।
अलग-अलग आए और एक साथ गए घर-
जिला अदालत जबलपुर में 21 जोड़े राजीनामा के बाद एक साथ रहने के लिए राजी हो गए। लोक अदालत में पति-पत्नी अलग-अलग पहुँचे थे, लेकिन लोक अदालत की समझाइश के बाद एक साथ घर जाने के लिए राजी हो गए। इस मौके पर राजीनामा करने वाले पति-पत्नियों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया गया। इन प्रकरणों का निराकरण न्यायाधीश अमिताभ मिश्रा, विधि सक्सेना और शिवकांत पांडे की खंडपीठ में हुआ। लोक अदालत ने पत्नी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने पर वृद्ध भीकमलाल को 12.50 लाख रुपए का अवार्ड दिया।
चैक बाउंस के 15 लाख के मामले में समझौता-
न्यायाधीश नीलिमा देवदत्त की लोक अदालत में आपसी समझौते के जरिए 15 लाख के चैक बाउंस का मामला निराकृत किया गया। लोकोपयोगी सेवाओं के मामले में पीठासीन अधिकारी मनीष सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने बीएसएनएल के 6 मामलों का निराकरण किया। इन मामलों में 24 हजार 600 रुपए की राशि वसूली गई। जेएमएफसी अंजली शाह की खंडपीठ ने लंबे समय से चले आ रहे घरेलू हिंसा के प्रकरण का निराकरण किया।
लोक अदालत और विवाद समाधान प्लेटफॉर्म का ई-शुभारंभ-
प्रदेश में नेशनल लोक अदालत और ऑनलाइन विवाद समाधान प्लेटफॉर्म का ई-शुभारंभ मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सालसा) के मुख्य संरक्षक एवं चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक ने किया। चीफ जस्टिस ने सालसा के न्यूज लेटर का भी विमोचन किया। इस मौके पर सालसा के कार्यपालक अध्यक्ष व हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
सालसा, मध्य प्रदेश पुलिस, विश्व बैंक और सामा के संयुक्त तत्वावधान में ऑनलाइन विवाद निवारण का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। यह कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जिले में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत पुलिस डायल 100 के माध्यम से पुलिस महिला ऊर्जा हेल्प डेस्क से प्राप्त होने वाले मामलों का ऑनलाइन मीडिएशन किया जाएगा। सालसा की सदस्य सचिव गिरीबाला सिंह ने पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रदेश की नेशनल लोक अदालत में 4 लाख 75 हजार 981 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे। जिनमें से 79 हजार 622 मामलों का निराकरण किया गया। इन मामले में 3 अरब 27 करोड़ 9 लाख 93 हजार रुपए के अवार्ड पारित किए गए। इस मौके पर अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह और उप सचिव अरविंद श्रीवास्तव भी मौजूद थे।
जिला अदालत में 2888 प्रकरण निराकृत-
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनीष सिंह ठाकुर ने बताया कि जिला अदालत जबलपुर में 2888 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इन मामलों में 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रुपए के अवार्ड पारित किए गए। प्रकरणों के निराकरण के लिए 67 खंडपीठों का गठन किया गया था।

Created On :   10 July 2021 11:03 PM IST

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