जूम-एप से खतरा: ऑन लाईन स्टडी ने बढ़ाई पेरेंट्स व टीचर्स की टेंशन निजी स्कूलों की मनमानी जारी

Danger from zoom-app: online study increases tension of parents and teachers Arbitration of private schools continues
जूम-एप से खतरा: ऑन लाईन स्टडी ने बढ़ाई पेरेंट्स व टीचर्स की टेंशन निजी स्कूलों की मनमानी जारी
जूम-एप से खतरा: ऑन लाईन स्टडी ने बढ़ाई पेरेंट्स व टीचर्स की टेंशन निजी स्कूलों की मनमानी जारी


डिजिटल डेस्क जबलपुर। लॉकडाउन के कारण सभी स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। शहर के स्कूल जूम एप के जरिए ऑन लाइन पढ़ाई करा रहे हैं।  स्कूल में जूम-एप से ई-लर्निंग को आगे बढ़ाया जा रहा है। टाइम-टेबल के अनुसार बच्चे तैयार भी रहते हैं। एक सेशन करीब 30 से 40 मिनट का होता है। सभी कक्षाओं में अलग-अलग सेक्शन के अनुसार शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शुरुआत में तो इसी सराहना अभिभावकों व टीचरों ने जमकर की लेकिन जब से सरकारी तंत्र में जूम एप का उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी है और डेटा चोरी होने की खबरें सामने आई हैं, तब से अभिभावकों व टीचर्स की टेंशन बढ़ गई है। टीचर्स  के साथ-साथ पेरेंट्स भी अब कहने लगे हैं कि इसका उपयोग बंद किया जाए। चर्चाएं हैं कि शहर के अधिकांश बड़े स्कूल जूम-एप से ऑन लाइन पढ़ाई कराने के लिए अभिभावकों व टीचर्स पर दवाब डाल रहे हैं, जबकि डाटा चोरी होने के डर के कारण टीचर्स व अभिभावक इसका उपयोग करने से डर रहे हैं।
ऑन लाइन पढ़ाई के बच्चों की आंखों पर पड़ रहा प्रभाव-
 लॉकडाउन होने की वजह से सभी स्कूलों ने अपनी ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है। इस ऑनलाइन क्लास में छोटे से लेकर बड़े बच्चे सुबह से लग जाते हैं। जहां अभी तक सभी कक्षाएं स्कूल में होती थीं। वहीं अब उतना टाइम बच्चे मोबाइल फोन और लैपटॉप पर अपनी आंखें गड़ाए रखते हैं। ऐसे में उनकी आंखों पर असर आना लाजिमी है। इसलिए एक्सपर्ट कहते हैं कि अभिभावकों को अपने बच्चों की आंखों का विशेष ध्यान रखना होगा। जिससे उनकी आंखों पर कोई प्रभाव न पड़े। अभिभावकों की मानें, लगातार मोबाइल फोन का उपयोग करने से बच्चों की आँखों से आँसू बहने लगते हैं इसके साथ ही खुजलाहट भी हो रही है।
तीन से पांच घंटे की होती है क्लासेज-
अभिभावक अनीता लाला ने बताया कि उनका बेटा तीसरी कक्षा में पढ़ता है। तीन से चार घंटे की क्लास होती है। किताब नहीं है। इसलिए होमवर्क भी मोबाइल फोन पर ही मिलता है। होम वर्क के दौरान भी दो घंटे तक मोबाइल फोन से देखकर उसे लिखना होता है। इसलिए रात में सोते समय उसकी आंखें रोज दर्द होती हैं। वहीं शास्त्रीनगर की रहने वाली अंजली ने बताया कि उनकी बेटी शगुन भी तीन घंटे की क्लास करती है। उसे भी सिर में दर्द होने की शिकायत होती है।
प्राचार्य व एचएम डाल रहे पेरेंट्स पर दवाब-
शहर के अधिकांश बड़े स्कूल जूम एप के जरिए ऑन लाइन स्टडी करा रहे हैं। सेंट ग्रेबियल सीनियर सेकेण्डरी स्कूल रांझी में लॉकडाउन के दौरान जूम एप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई करायी जा रही है। शुरुआत में तो अभिभावकों ने पूरा सहयोग किया, लेकिन जब से सरकार  द्वारा जूम-एप के उपयोग पर सरकारी दफ्तरों में पाबंदी लगा दी है, तब से अभिभावकों में चिंता बढ़ गई है। अभिभावक भी संबंधित टीचर्स से इस संबंध में चर्चा करते हैं, लेकिन टीचर्स अपने स्कूल के प्राचार्य व एचएम के आदेश का हवाला देकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं। बताया जाता है कि स्कूल प्राचार्य ब्रदर जॉय व एचएम बेला राजन द्वारा अभिभावकों व टीचर्स पर जबरन दवाब डालकर जूम एप से पढ़ाई कराने कहा जा रहा है, जिसको लेकर अभिभावकों में आक्रोश है।
जबरन कर रहे मजबूर-
जानकारी के अनुसार संत अलॉयसियस स्कूल पोलीपाथर में भी जूम-एप के जरिए ऑन लाइन स्टडी करायी जा रही है। यहां पर भी अभिभावकों व टीचर्स पर अनावश्यक दवाब डालकर पढ़ाई करने कहा जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि जब सरकार द्वारा डाटा चोरी होने के डर से जूम-एप के उपयोग पर रोकर लगा दी गई है, तो फिर भला स्कूल द्वारा इसका उपयोग क्यों किया जा रहा है। हमको भी अपने बच्चों का डाटा चोरी होने का डर सता रहा है। प्रशासन शीघ्र ही इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करे। हम ऑन लाइन पढ़ाई कराना चाहते हैं, लेकिन वह सुरक्षित होना चाहिए।
इनका कहना है-
निजी स्कूलों में अभिभावकों को लूटने का नया तरीका निकाल रहा है। लॉकडाउन में ऑन लाइन पढ़ाई कराने की बात की जा रही है, लेकिन इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इस संबंध में कलेक्टर भरत यादव को एक शिकायत सौंपकर उचित कार्रवाई की मांग की जाएगी।
अरविंद मिश्रा, अभिभावक

निजी स्कूल अभिभावकों को लूटने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। सेंट ग्रेबियल सीनियर सेकेण्डरी स्कूल रांझी हमेशा विवादों में रहता है। संबंधित स्कूल के खिलाफ लगातार शिकायत प्राप्त होती हैं। ऑन लाइन पढ़ाई को लेकर भी अभिभावक शिकायत कर रहे हैं। जब सरकार ने जूम एप का उपयोग बंद कर दिया है, तो संबंधित स्कूल इसका उपयोग क्यों कर रहे हैं, यह समझ के परे है। इसकी शिकायत जेडी एजुकेशन एवं कलेक्टर से की जाएगी।
सचिन रजक, छात्र नेता,  एनएसयूआई

अभी हमारे पास किसी प्रकार के निर्देश नहीं आए हैं।  डीपीआई से आदेश प्राप्त  होते ही कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल हमारे द्वारा एप का उपयोग न करने संबंधित जानकारी टीचर्स एवं पेरेंट्स को दी गई है।
बेला राजन, एचएम सेंट ग्रेबियल सीनियर सेकेण्डरी स्कूल रांझी

इस संबंध में शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यदि अभिभावक शिकायत करते हैं, तो निश्चित तौर पर संबंधित स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आरके तिवारी, जेडी, लोक शिक्षण संचालनालय जबलपुर संभाग

Created On :   23 April 2020 10:08 PM IST

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