निजी अस्पतालों के फायर सिस्टम में पाई गईं कमियां,नोटिस जारी

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प्रशासन ने निजी अस्पतालों की जांच के लिए टीम भेजी निजी अस्पतालों के फायर सिस्टम में पाई गईं कमियां,नोटिस जारी

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में अचानक आग लगने से आठ लोगों की मौत के बाद जागे प्रशासन ने निजी अस्पतालों की जांच के लिए टीम भेजी। टीम ने गायत्री एवं चौबे नर्सिंग होम, नर्मदा हॉस्पिटल,डॉ.एमपीएन अस्पताल का निरीक्षण किया। टीम ने जांच के दौरान अस्पतालों में फायर सिस्टम में कमियां पाईं। इसके अलावा कुछ और कमियां मिलीं। गायत्री नर्सिंग में अग्निशमन यंत्रों के अलावा अन्य संबंधित जरूरी साधन नहीं पाए गए। टीम ने मौके पर पंचनामा बनाया। अस्पतालों में नोटिस देकर व्यवस्थाओं में सुधार करने के निर्देश दिए।

एसडीएम ने बताया कि व्यवस्थाएं नहीं सुधरने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी। यहां अस्पतालों में बड़ा झोल है। नियम कायदे ताक रखकर अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। बिल्डिंग कम्पलीशन प्रमाण-पत्र की जगह प्राइवेट ले आउट लगाया गया है। कई अस्पतालों में आने-जाने के लिए एक ही रास्ता बनाया गया है। चारों तरफ से बंद भवनों में अस्पताल चल रहे हैं। आवासीय भवनों में अस्पताल खोल दिए गए हैं, जबकि कामर्शियल परपज से उपयोग हो रहा है। आपातकालीन निकास का कोई प्रबंध नहीं है। पार्किंग का इंतजाम नहीं है। यहां आने वाले मरीजों के परिजनों को सड़क किनारे वाहन रखना पड़ता है। अस्पतालों में बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

बिना जांच के मिल जाती है एनओसी

शहर में एक दर्जन से अधिक निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इसमें कई नामी गिरामी अस्पताल भी शामिल हैं, मगर सुविधाओं के नाम पर स्थिति बेहद खराब है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बिना निरीक्षण किए एनओसी जारी कर दी गई है। विभाग में कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि हादसे के समय ही प्रशासन को नियम याद आते हैं। यदि पहले से ही व्यवस्थाएं चुस्त-दुरस्त हों, तो इसकी नौबत ही नहीं आएगी।

नगर पालिका ने अभी तक नहीं उठाई आपत्ति

ज्यादातर निजी अस्पताल आवासीय भवनों में चल रहे हैं, जबकि इनका कमर्शियल उपयोग हो रहा है। नगर पालिका ने भी अभी तक आपत्ति नहीं उठाई है। अस्पताल संचालकों द्वारा सीधे तौर पर राजस्व टैक्स की चोरी की जा रही है।

एनबीसी की शर्तों का नहीं हो रहा पालन

सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में फायर ऑडिट कराने के निर्देश पहले ही शासन द्वारा जारी किए जा चुके हैं, जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के मुताबिक व्यवस्थाएं हैं अथवा नहीं, इसका परीक्षण करना है। प्रमुख रूप से आगजनी की स्थिति में मरीजों को बाहर निकालने के लिए अलग से व्यवस्था है या नहीं, फायर फाइटिंग सिस्टम भवन की क्षमता के अनुरूप है अथवा उससे कम है। अस्पताल में फायर एक्सपर्ट कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं या नहीं। आईसीयू में एयरफ्लो एक्सचेंज करने की क्या व्यवस्था है, जिससे हवा बदलती रहे आदि को प्रमुख रूप से देखा जाता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि रेस्क्यू के लिए टीम आती है तो वह सहजता से पहुंच पाएगी या नहीं। एनबीसी के अनुसार 15 मीटर से यदि भवन ऊंचा है तो डेढ़ लाख लीटर क्षमता का अंडर ग्राउंड वॉटर टैंक, 10 हजार लीटर का ओवरहेड पानी टंकी, पंप हाउस, हाईड्रेंट सिस्टम, स्प्रिंकलर, फायर अलार्म होना जरूरी है।
 

Created On :   4 Aug 2022 5:55 PM IST

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