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जिला अस्पताल में स्क्रीनिंग के लिए लगा मजदूरों का मेला -हॉटस्पॉट सूरत से सतना पहुंचे एक हजार श्रमिक,
डिजिटल डेस्क सतना। लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे स्थानीय श्रमिकों को घर पहुंचाने की राज्य सरकार की योजना के तहत गुजरात के हॉट स्पॉट (रेड जोन) सूरत शहर से रविवार को यहां जिला मुख्यालय में तकरीबन एक हजार श्रमिकों भी भीड़ किश्तों में पहुंची। ये सिलसिला सुबह 8 बजे से शुरु हुआ। सबसे पहले 2 बसें एक साथ सूरत से यहां जिला अस्पताल पहुंचीं। लगभग 10 बजे मजदूरों से भरे 2 ट्रक आए। इन्हीं में से एक ट्रक तकरीबन 50 मजदूरों को रेलवे स्टेशन परिसर से लगी अंधेरी पुलिया के पास छोड़कर भाग गया। जबकि दूसरा ट्रक सीधे जिला अस्पताल पहुंचा। इसमें भी आधा सैकड़ा श्रमिक थे। दोपहर एक बजे एक-एक कर 5 अन्य बसें पहुंचीं। इसी बीच सूरत से 3 दिन का सफर पूरा करके मजदूरों से भरी एक पिकअप भी आई। मगर, ये सिलसिला यहीं नहीं थमा। दोपहर बाद एक 48 सीटर एक और स्लीपर बस आई। गुजरात की बस में भी 70 से भी ज्यादा यात्री थे। आगंतुक मजदूरों और वाहनों के ये वो अज्ञात आंकड़े हैं, जो स्क्रीनिंग के लिए जिला अस्पताल लाए गए। ये तय कर पाना कठिन है कि दूसरे राज्यों से यहां पहुंचाने वाले श्रमिकों की वास्तविक संख्या कितनी है? सच ये है कि आधिकारिक तौर पर इसका कोई हिसाब नहीं है।
1 लाख 70 हजार में बस तो 85 हजार में बुक था ट्रक
रविवार को यहां पहुंचने वाली सभी बसें गुजरात के सूरत शहर की हैं। ये दीगर बात है कि राज्य शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने भी खासकर गुजरात से श्रमिकों को लाने के लिए पिटौल बार्डर पर 25 बसें लगा रखी हैं। एक दावे के मुताबिक ये बसें वापसी के रास्ते हैं।बताया गया है कि इन बसों ने 21 घंटे एक हजार 78 किलोमीटर के लिए प्रति सवारी 33 सौ रुपए का भाड़ा बनाया है। सूरत से आई एक बस नंबर जीजे 03 बीटी 9904 के यात्रियों ने बताया कि वे लोग बस को एक लाख 70 हजार रुपए में बुक करके लाए हैं। जबकि ट्रक में सवार मजदूरों ने बताया कि उन्होंने इस सफर पर चंदा करके 85 हजार रुपए खर्च किए।
जाना था सीधी छोड़ गया सतना में
बस नंबर एमपी 09 एफए 5481 में सवार श्रमिकों ने बताया कि सूरत में बिचौलिए ने 1 लाख 85 हजार रुपए में सीधी के लिए जो बस बुक कराई थी, वो बस नहीं आई। शोर शराबा करने पर जो बस भेजी गई वो इंदौर से नदंूबार के बीच चलती है। सतना आकर इस बस के ड्राइवर ने हाथ उठा दिए। बस के ड्राइवर का कहना था कि उसके पास परमिट महज सतना तक का है। बस ड्राइवर दोपहर 2बजे सीधी के सभी श्रमिकों को यहां सिटी कोतवाली के सामने छोड़कर भाग गया। कहते हैं, दोपहर 4 बजे के बाद पुलिस ने गंतव्य के लिए दूसरी बस की व्यवस्था की।
बस से लेकर ट्रक तक ओवर लोड
कोरोना वायरस से संक्रमण के बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे बड़ा उपाय है। फेसकवर रखना भी अनिवार्य शर्त है,मगर ट्रक हो या बसें सब भारी भीड़ से ठसाठस थीं। और तो और पिकअप का भी यही हाल था। श्रमिकों की भारी भीड़ में महिलाओं के अलावा मासूम बच्चे भी शामिल थे। सभी स्वेच्छा से स्क्रीनिंग के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। असल में गांव के अंदर दाखिल होने के लिए स्क्रीनिंग की पावती भी इन मजदूरों के लिए अनिवार्यता बन गई है। रविवार को श्रमिकों की स्क्रीनिंग के कारण जिला अस्पताल को कोविड ओपीडी बढ़कर 905 पर पहुंच गई।
3 दिन में 17 सौ 57 मेडिकल चेकअप
दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को गृह ग्राम तक पहुंचाने की राज्य शासन की योजना के एलान के बाद यहां 3 दिन के अंदर अकेले जिला अस्पताल में 17 सौ 57 मेडिकल चेकअप कराए जा चुके हैं। पहली मई को 415, दो मई को 437और रविवार को 905 स्क्रीनिंग की गईं।
जांच के लिए 4 चेंबर
कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए जिला अस्पताल की कोविड ओपीडी में 4चेंबर बनाए गए हैं। हर चेंबर में एक-एक डॉक्टर और कंपाउंडर ड्यूटी पर हैं।
हर चेंबर में थर्मल इन्फ्रारेड स्केनर और पल्स ऑक्सीमीटर की व्यवस्था की गई है। एक स्क्रीनिंग में कम से कम 5 से 7 मिनट लगते हैं।
खतरे की घंटी, वर्क लोड भी बढ़ा
इसी बीच सूत्रों ने बताया कि कहने को तो शहर में नगर निगम की 3 और स्वास्थ्य विभाग की 2 मोबाइल मेडिकल टीम सक्रिय हैं। एक सरकारी दावा ये भी है कि जिले के सभी 8 ब्लाक में भी लगभग 45 मोबाइल मेडिकल टीम काम कर रही हैं, मगर बावजूद इसके जिला अस्पताल में स्क्रीनिंग का वर्क लोड बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना कोविड के क्लीनिकल प्रोटोकाल के तहत बाहर से बसों में आने वाली भीड़ की जिले की सीमा के बाहर ही स्क्रीनिंग हो जानी चाहिए।
Created On :   4 May 2020 3:52 PM IST