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डुमना एयरपोर्ट के पास कच्ची बस्ती के निवासियों का पुनर्वास करना है या नहीं, यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार का विषय
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की डिवीजन बैंच ने डुमना एयरपोर्ट के पास कच्ची बस्ती के निवासियों के पुनर्वास के लिए दायर याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है। डिवीजन बैंच ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा है कि यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार का विषय है कि डुमना एयरपोर्ट के समीप कच्ची बस्ती के निवासियों को हटाए जाने पर उनका पुनर्वास करना है या नहीं। इस मामले में याचिकाकर्ता पहले ही कलेक्टर को अभ्यावेदन दे चुके हैं, इसलिए पुनर्वास का मामला सरकारी अधिकारियों के विवेकाधिकार पर छोड़ा जाता है।
यह है मामला
यह जनहित याचिका नगर निगम के वार्ड क्रमांक 79 उमरिया निवासी अमित यादव और मनोज श्रीपाल की ओर दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि वार्ड क्रमांक 79 के डुमना रोड पर यादव मोहल्ला, आदिवासी मोहल्ला और महगवाँ की कच्ची बस्ती में 100 परिवार पीढिय़ों से रह रहे हैं। यहाँ की जमीन को डुमना एयरपोर्ट के विस्तार के लिए सुरक्षित रखा गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुशील कुमार मिश्रा ने कहा कि यहाँ रहने वालों को आशंका है कि उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है, इसलिए यहाँ के निवासियों का आवास योजना के तहत पुनर्वास करने के लिए निर्देश जारी किया जाए।
एयरपोर्ट विस्तार के लिए आरक्षित है जमीन
उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने बताया कि यादव मोहल्ला, आदिवासी मोहल्ला और महगवाँ की कच्ची बस्ती की जमीन राजस्व रिकॉर्ड में शासकीय मद में दर्ज है। यह जमीन डुमना एयरपोर्ट के विस्तार के लिए सुरक्षित रखी गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से जमीन के स्वामित्व का कोई रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा है कि डुमना के समीप कच्ची बस्ती के निवासियों का पुनर्वास करना है या नहीं, यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार का विषय है।
Created On :   13 Jan 2021 1:50 PM IST